Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

धर्म का पालन करना हम सबका परम कर्तव्य:- वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर स्वामी






दुबहर: - भारत के महान मनीषी संत त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के कृपा पात्र कोसलेश सदन पीठाधीश्वर जगदगुरु वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर स्वामी जी महाराज ने नगवा में हो रहे श्रीमद् भागवत सप्ताह महापुराण की कथा के प्रथम दिन प्रवचन करते हुए कहां की गंगा के समान कोई तिर्थ नहीं है, राष्ट्र से बढ़ कर कुछ नहीं होता।जो व्यक्ति राष्ट्र के लिए अपने आप को समर्पित कर देता है उसे ईश्वर की शरणागति मिलती है।

भागवत महापुराण कथा सुनने से व्यक्ति के सांसारिक जीवन के बाद भगवान की प्राप्ति होने का मार्ग प्रशस्त होता है।

श्रीमद्भागवत की कथा श्रवण करने से  इसे पढ़ने से ज्ञान और वैराग्य पुष्ट होते हैं। यश के लिए धर्म का सेवन करने वाला दंभी  होता है।

धर्म का पालन करना हमारा परम कर्तव्य  है।

उन्होंने कहा कि सत्कर्म का मतलब ज्ञानयज्ञ होता है । श्रीमद्भागवत तत्व का उपदेश करना ही ज्ञान यज्ञ है।

ज्ञान यज्ञ में श्रोता का शरीर ही यज्ञ मंडप होता है , श्रोता के पैर यज्ञ मंडप के स्तंभ होते हैं , श्रोता के कान यज्ञ मंडप के कुंड होते हैं  व प्रवचन करने वाला आचार्य ही यज्ञ का यजमान होता है। आचार्य अपनी जीभ से एक-एक शब्दों की आहुति आपके कान रूपी यज्ञ कुंड में देता है इसी का नाम ज्ञान यज्ञ है।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से अश्वनी कुमार उपाध्याय , डॉ ० जयगणेश चौबे , जवाहर लाल पाठक,पिंटू मिश्रा,प्रेम शंकर पाठक,रामकृपाल पांडेय, महावीर पाठक,त्रिभुवन यादव, हरेराम शर्मा,अशोक गुप्ता ,बच्चन जी गुप्ता ,जय राम पाठक,आदि लोग मौजूद रहे।

रिपोर्ट:- नितेश पाठक

No comments