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जब उफनाई गंगा की लहरें तो इतिहास बन गया आश्रम


रामगढ़, बलिया। एक बार फिर गंगा की लहरें तबाही मचाने को बेकरार हो गयीं हैं। गंगा के जल में हुए इस नाटकीय परिवर्तन ने सबको झकझोर कर रख दिया है। गंगा की उफनती लहरों ने रविवार की सुबह 11 बजे अपना रौद्ररूप अख्तियार कर ली, जिससे केहरपुर स्थित पूज्यनीय श्री हरेराम बह्मचारी जी का आश्रम गंगा की फुफकारती लहरों के बीच समा गया। इस बात की जानकारी जैसे ही फैसला शुरू किया वैसे ही क्षेत्र के लोगों ने दांतांे तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो गए। इस भयावह स्थिति को देखकर सब लोग मायूस होकर अपने आंसु रोक नहीं पायें। रविवार की की सुबह आचानक कटान शुरू होने से केहरपुर सम्पर्क मार्ग की पुलिया गंगा की पलायनकारी लहरों में भरभराकर समा गया तो वहीं बलिया से लेकर प्रयागराज तक एक बार फिर गंगा नदी उफान की तरफ रविवार की अपराह्न एक बजे से गंगानदी के जलस्तर मे बढाव का क्रम  एक समान जारी है। पिछले पांच दिनांे से हो रही मुसलाधार बारिश के चलते बलिया से लेकर इलाहाबाद तक गंगा एक समान हो गई हैं। उधर केंद्रीय जल आयोग गायघाट बाढ़ नियंत्रण गेज के अनुसार रविवार की दोपहर एक बजे गंगा नदी का जलस्तर 58.920 मीटर दर्ज किया गया। यहां पर खतरा बिंदु 57.615 मीटर पर रिकार्ड है। अभी भी खतरा बिन्दु  से 1.305 मीटर गंगा ऊपर बह रही है साथ ही दो सेमी. प्रति घंटे की रफ्तार से गंगा में बढने का क्रम निरंतर जारी है। जबकि इलाहाबाद दो घंटे मंे एक सेमी. और वाराणसी में तीन घंटे में एक सेमी. गाजीपुर दो घंटे मे एक सेमी. की हिसाब से बढाव जारी है। पूर्वानुमान हैं कि सोमवार की सुबह आठ बजे 59.100 मीटर पर पहुंच जायेगा।


तिनका-तिनका चुनकर आबाद हुई गृहस्थी को बाढ़ और बारिश ने किया बर्बाद



रामगढ़, बलिया। उफनाई गंगा व घाघरा का जलस्तर उतार पर होने के बाद गंगा नदी के बैकरोलिंग होने के कारण घाघरा नदी चांदपुर में दो सेमी. व मांझी में पांच सेमी. बढ़ाव पर है, बाढ़ विभाग की माने तो जैसे ही वर्षा समाप्त होगी नदी घटाव पर चली जायेगी। इसके बाद भी बाढ़ पीड़ित गृहस्थी उजड़ने से चिंता में डूबे हैं।तिनका-तिनका चुनकर सहेजी गृहस्थी बाढ़ में बर्बाद होने और दिन रात मेहनत कर उगाई गई फसलों के तहस नहस होने का दर्द उनके चेहरे पर झलक रहा है। राष्ट्रीय सहारा ने रविवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बसे दुबेछपरा, गोपालपुर, उदईछपरा, चौबे छपरा, प्रसादछपरा, बुधनचक, पांडेयपुर अठगावां गांव के अलावे गंगा पार नौरंगा गांव का जायजा लिया तो कमोबेश कुछ इसी तरह की तस्वीर सामने आई। किसी ने मकान नदी में समाहित होने तो किसी ने घर की दीवार ढहने तो अधिकतर लोग गृहस्थी का सामान नष्ट होने की पीड़ा बयां की।बबाढ़ के पानी में जिन किसानों की फसलें नष्ट हो गई हैं, वे ज्यादा परेशान दिखे।

पीड़ित किसानों का कहना है कि अबकी मक्का,परवल आदि की फसलें अच्छी हुईं थीं, सोचा था कि अच्छी पैदावार होगी तो बिटिया के हाथ पीले कर देंगे, लेकिन इस आपदा ने उनके सारे अरमानों पर पानी फेर दिया। अब तो यही चिंता सता रही है कि बेटी का ब्याह फिर लटक गया। लोगों का कहना है कि अब तो बिखरी गृहस्थी सहेज कर किसी तरह काम चला रहे हैं। सरकार अगर मुआवजा दे तो कुछ राहत मिल सकती है। गोपालपुर गांव के राजकिशोर उपाध्याय ने बताया कि बाढ़ से उनका पूरा मकान गिर गया, उनके पास थोड़ा बहुत खेत हैं,पूरी मक्का की फसल नष्ट हो गई। शैलेन्द्र ने कहा घर में विवाह योग्य दो लड़कियां हैं, सोचा था कि अबकी साल में एक लड़की का ब्याह कर देंगे,अब ऐसे में वह अपनी बेटी के कैसे हाथ पीले कर पाएंगे, यही चिंता खाए जा रही है। इसी तरह गांव के सचिन सिंह की छह बीघा,पंकज तिवारी की चार बीघा और रामाकान्त पाण्डेय की छः बीघा मक्का की फसल नष्ट हो गई है जिससे ये लोग भी पूरी तरह व्यथित दिखे।नौरंगा गांव में कई लोगो का कच्चा मकान बाढ़ की चपेट में आकर मलबे के ढेर में तब्दील हो चुका है। उनका कहना है कि बड़ी मेहनत से मकान बनाया और गृहस्थी का सामान जुटाया। सब बर्बाद हो गया, अब तो सिर छिपाने की समस्या खड़ी हो गई है। इस समय खुले आसमान के नीचे रहकर किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं। इसी तरह गांव की गोपालपुर निवासिनी शोभदेवी पत्नी सोना साह का कच्चा मकान भी ढह गया है।नौरंगा प्रधान प्रतिनिधि सुरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि हमारे गांव के दर्जनों लोगों का 50 एकड़ से अधिक परवल का फसल नदी में विलीन हो गया है। वही करीब 200 एकड़ उपजाऊ भूमि नदी में समाहित हो चुका है। बाढ़ प्रभावित जगदेवा ग्राम पंचायत अंतर्गत अठगावां गांव में देखा गया तो एनएच 31 पर पाण्डेयपुर से लगायत रामगढ़ तक बाढ़ पीड़ित छोटी सी प्लास्टिक की त्रिपाल में शरण लिए हुए है। पांच दिनों से 24 घण्टे लगातार हो रही बारिश में पूरा कुनबा एक छोटी सी त्रिपाल में घुसकर छुपा हुआ है।और उसी त्रिपाल में छुप कर भगवान से गुहार लगा रहा है कि हे भगवान आज कोई अन्न दाता भेज दो। हालांकि जिला प्रशासन के तरफ से राहत सामाग्री वितरण किया गया है, बारिश के कारण राहत में कुछ जरुण खामी हुई है।


बारिश के बीच एसडीएम ने कटान पीड़ितों में बांटी राहत सामग्री


रामगढ़, बलिया। रविवार को लगातार हो रही बारिश के बीच सदर एसडीएम अश्वनी कुमार श्रीवास्तव ने रविवार को सदर  तहसील के ग्राम सभा गंगापुर के रामगढ़ क्षेत्र के अवशेष चौबे छपरा व सोनार टोला के बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया। इस बीच अधिकारी ने गंगा के कटान मे विलीन हुये आशियानों के पीड़ितों को शीघ्र ही अनुदान मुहैया कराये जाने का भरोसा दिया।
बारिश के बीच ही पंहुचे एसडीएम सदर  ने चौबेछपरा अवशेष, बनिया टोला, सोनार टोला रामगढ़ के साथ ही मझौवा मठिया के कुछ लोगों सहित  कुल 167 पीड़ितों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया गया। इसमें प्रत्येक बाढ़ पीड़ित को 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, 2  किलो अरहर दाल, 5 किलो लाई, 10 किलो आलू व सब्जी मसाला, माचिस, बिस्कुट, रिफाइन , नमक आदि का वितरण किया गया। इस दौरान हल्दी एसएचओ सतेन्द्र राय और चौकी इंचार्ज पंकज सिंह अपने पूरे दलबल के साथ सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैदी से अंत समय तक डटे रहे। इस मौके पर गंगापुर के ग्राम प्रधान श्याम कैलाश साह , क्षेत्रीय लेखपाल लक्ष्मण सिंह, के साथ आदि लोग मौजूद रहे ।


बाढ़ पीड़ितों की सेवा में विधायक का लंगर बदस्तूर


रामगढ़,बलिया। बाढ़ पीड़ितों को भोजन कराने के लिए विधायक सुरेंद्र सिंह द्वारा दुबेछपरा में आयोजित लंगर लगातार 17 वें दिन भी जारी रहने से इस बरसात के मौसम में बाढ़ पीड़ितों के लिए बहुत बड़ा सहारा बना हुआ है। मूसलाधार बारिस के बीच न तो स्वयं सेवी संस्थाएं भोजन का पैकेट लेकर आ रही है, न ही राजनैतिक दल के लोग बरसात के कारण बाढ़ पीड़ित खाना भी नहीं पका सकते हैं। ऐसे में विधायक सुरेंद्र सिंह द्वारा आयोजित लंगर ही बाढ़ पीड़ितों की क्षुधा तृप्ति का एकमात्र साधन बना हुआ है। स्वयं विधायक अपनी उपस्थिति में बाढ़ पीड़ितों को पूरे आदर के साथ भोजन कराते हैं। लगातार भोजन परोसते भी उन्हें लोग देख रहे हैं।
लोगों का कहना है कि बाढ़ कई बार यहां आई है, दो बार पहले भी सन् 2013 व 2016 में रिंग बंधा कटने के कारण स्थिति इसी तरह से भयावह हुई थी। तब कोई भी जनप्रतिनिधि लंगर का आयोजन कर बाढ़ पीड़ितों को भोजन उपलब्ध कराने का प्रयास नहीं किया था। ऐसे में विधायक सुरेंद सिंह द्वारा लंगर का लगातार 17 वें दिन आयोजन क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रति दिन तीन से चार हजार बाढ़ पीड़ित चावल, दाल, सब्जी व आचार का स्वाद लेते हैं। विधायक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि चावल-दाल खिलाने का निर्णय इसलिए लिया कि पका-पकाया भोजन कुछ लोग वितरित कर देते हैं। ऐसे में दोनों टाइम केवेल तला हुई भोजन करना बाढ़ पीड़ितों के सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा। वहीं चावल, दाल, सब्जी पकाने में आसानी भी है। विधायक ने स्पष्ट किया कि जब तक बाढ़ रहेगी, बाढ़ पीड़ितों को लंगर में भोजन मिलता रहेगा।

रिपोर्ट- रविन्द्र नाथ मिश्र

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