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बलिया के जिला अस्पताल में कालाजार का निःशुल्क इलाज संभव

 

 


- वर्ष में दो बार घर में करायें कीटनाशक दवा आईआरएस का छिड़काव 


- घर के आस-पास रखें साफ-सफाई और करें मच्छरदानी का प्रयोग 


- पाथ संस्था के सहयोग से एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित  


बलिया : कालाजार एक जानलेवा रोग है जो बालू मक्खी के काटने से फैलता है और अक्सर यह ग्रामीण क्षेत्रों में मकान की दरारों में पायी जाती है। इससे बचाव के लिए घर के आस-पास साफ़-सफाई का ध्यान रखकर एवं मच्छरदानी का प्रयोग कर इस रोग से बचा जा सकता है। यह कहना है जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव का। जिला मलेरिया अधिकारी सोमवार को एक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

किसी व्यक्ति को 15 दिन से अधिक बुखार आना, भूख नहीं लगना, खून की कमी, वजन घटना, रोगी की त्वचा का रंग काला होना आदि कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। इसका सबसे मुख्य लक्षण त्वचा पर धब्बा बनना है। यदि किसी व्यक्ति में यह लक्षण पाये जायें तो तत्काल अपने नजदीक के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला चिकित्सालय पर निःशुल्क जांच कराकर पूरा इलाज करायें। इस बीमारी में लापरवाही न करें क्योंकि यह बीमारी एक बार ठीक होने पर दोबारा से शुरू हो सकती है। इसलिए चिकित्सक की सलाह के अनुसार तत्काल इलाज करायें।  

जिले में कालाजार की स्थिति:-

जिले में कालाजार प्रभावित 14 ब्लाक है- हनुमानगंज, मुरली छपरा, कोटवा, रेवती, दुबहर, चिलकहर, मनियर, बेलहरी, बेरूआरबारी, बांसडीह, सोहाव, पंदह, सियर तथा गड़वार ब्लॉक हैं। जिले में  जनवरी 2021 से आज तक कालाजार के 16 मरीज मिले हैं। जिसमे 11 वीएल (विसलर लिसमेनियासिस/बुखार वाला कालाजार) के रोगी एवं 5 पीकेडीएल (पोस्ट कालाजार डर्मल लिसमेनियासिस/चमड़े वाला कालाजार) के रोगी हैं। जिसमें कोटवा ब्लॉक से चार, मनियर ब्लॉक से दो, तथा दुबहर ब्लॉक से एक, बांसडीह ब्लॉक से एक,रेवती ब्लॉक से एक, चिलकहर ब्लॉक से दो, सोहाव ब्लॉक से एक, मुरली छपरा ब्लॉक से दो रोगी,  पंदह में  एक रोगी तथा बैरिया में  एक रोगी मिला है। यह जानकारी जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने दी। उन्होंने बताया कि पाथ के मॉनीटर को अपने निर्धारित ब्लॉक के अंदर प्रभावित गाँव एवं उसके अगल-बगल के गाँव और आशा के द्वारा साल में पूरे ब्लॉक में तीन बार दस्तक के दौरान और दो बार इंडोर रेजीडुअल स्प्रेईंग/ अंतर अवशेषी छिड़काव (आईआरएस) के दौरान घर-घर कालाजार संदिग्ध खोज का विशेष अभियान चलाया जाता है। कालाजार के संदिग्ध का टेस्ट  पॉजिटिव आने पर उनका इलाज सुनिश्चित कराना, साथ ही साथ कालाजार के मरीजों को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में  500 रुपये  एवं पीकेडीएल के मरीज़ों को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में 4000 रुपये  एवं आशा को पॉजिटिव मरीज खोजने पर 500 रुपये  देने का प्राविधान है। घरों में वर्ष में दो बार आईआरएस (घरों के अन्दर छिड़काव) प्रभावी ढंग से हो सुनिश्चित कराया  जाता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन पाथ संस्था के सहयोग से किया गया। इस मौके पर पाथ संस्था के रीजनल नोडल अधिकारी डॉ पंकज कुमार द्वारा प्रशिक्षण दिया। साथ यहां चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ० दीपक गुप्ता एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ० रजनी कांत यादव, लैब टेक्नीशियन, स्टाफ नर्स ,सहायक मलेरिया अधिकारी निलोत्पल कुमार, वीबीडीसी रागिनी कुमारी, पाथ संस्था के प्रोग्राम अधिकारी डॉ० ज्ञान चंद, पीसीआई संस्था के क्षेत्रीय मोबलाइजेशन कोऑर्डिनेटर विकास द्विवेदी, डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर कंसलटेंट आशीष पांडेय आदि मौजूद रहे।



रिपोर्ट : धीरज सिंह

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