नेता प्रतिपक्ष ने सीएम पर साधा निशाना, बोले कब होगी ऊर्जा मंत्री की गिरफ्तारी !
बलिया। नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि बिजली कर्मचारियों के पीएफ का तकरीबन 2268 करोड़ रुपया लूटने और लुटवाने के मामले में यूपी के ऊर्जा मन्त्री, पावरकारपोरेशन के चेयरमैन और सम्बंधित प्रमुख सचिव ऊर्जा अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं हुए, इसका जवाब अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देना चाहिए। उत्तर प्रदेश की जनता उनसे यह जानना चाहती है कि अगर इन लोगों ने नहीं किया तो वह कौन अदृश्य ताकत है जिसके आदेश के अनुपालन में यूपी के ऊर्जा विभाग और महाराष्ट्र के पीएमसी बैंक का धन एक डूबी कम्पनी को ट्रान्सफर किया गया। सवाल किया कि क्या उस अदृश्य ताकत की डर से लूट उजागर हो जाने के बाद भी इन लोगों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है?
मंगलवार को अपने बलिया आवास पर भास्कर से बातचीत करते हुए सीधे मुख्यमंत्री को अपने निशाने पर लिया और कहा कि लगभग 2268 करोड़ की इस लूट और लुटवाने में शामिल लोगों के माध्यम से जनता को गुमराह करने की जगह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खुद जनता के सामने आना चाहिए। उन्हें सीधे सीधे यह बताना चाहिए कि इस डूबी कम्पनी को किस-किस तारीख में धन ट्रांसफर किया गया, उस समय कौन ऊर्जा मन्त्री थे, कौन चेयरमैन थे और ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव थे ? कहा कि इन लोगों के कार्यकाल में यह 2268 करोड़ की लूट और लुटवाने घटना हुई, इसलिए इन्हें इन्हें बर्खास्त कर जेल भेज दिया गया। वह यह भी घोषित कर दें कि हाईकोर्ट के वर्तमान जज इस लूट की जांच करेंगे और इसमें शामिल कोई दोषी नहीं बचेगा, चाहे कितनी भी बड़ी कुर्सी पर बैठा हो।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमन्त्री अगर यह जवाब नहीं देंगे तो शक की सुई उनकी ओर भी जाएगी। वह सन्त भी हैं, इसलिए मेरा आग्रह है कि नियोजित तरीके से कर्मचारियों के पीएफ का धन एक डूबी हुई कम्पनी को ट्रांसफर कर लूटने और लुटवाने के मामले में वह खुद जवाब दें। मेरी नजर में यह गम्भीर अपराध है। इस मामले में उनकी चुप्पी उचित नहीं है। किसी अदृश्य ताकत की वजह से अगर चुप रहने की उनकी कोई मजबूरी हो तो उन्हें यह भी सार्वजनिक करना चाहिए।
श्री चौधरी ने कहा है कि ऊर्जा मन्त्री, पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और सम्बंधित प्रमुख सचिव ऊर्जा को भी थेथरई बतियाने की जगह इस्तीफा देकर खुद को कानून के हवाले कर देना चाहिए। फिर यह भी बताना चाहिए कि नियमों का उल्लंघन कर यह धन एक डूबी कम्पनी को क्यों ट्रान्सफर किए। जबकि यह बताने की जगह ये लोग उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की कहावत चरितार्थ करते हुए यह बता रहे हैं कि कर्मचारियों का पैसा सुरक्षित है। अखिलेश सरकार पर लगाये गये आरोप के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि अखिलेश सरकार ने 11मार्च 2017को त्यागपत्र दे दिया था,14 मार्च को विधानसभा का गठन हुआ ,19 मार्च को योगी सरकार ने शपथ ली,उसी दिन श्रीकांत शर्मा ने मन्त्री पद की शपथ ली, बोर्ड की बैठक 25 मार्च को हुई तो फिर सपा सरकार जिम्मेदार कैसे! उन्होंने मुख्यमंत्री से यह भी पूछा है कि ये लोग बोल रहे हैं कि यह पैसा सुरक्षित हैं? आपको इसका जवाब देना चाहिए कि एक डूबी कम्पनी को चला गया पैसा कहाँ सुरक्षित है? क्या इसे इन लोगों ने किसी और खाते में जमा रखा है या इससे मथुरा में कोई जमीन खरीदी गई है जिसके आधार पर कहा जा रहा है कि यह पैसा सुरक्षित है।
रिपोर्ट : अजित ओझा
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