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जाने कहां बलिया मे जलाया गया 15 फुट का रावण



रसड़ा (बलिया) उत्तर प्रदेश के  बाबा की नगरी काशी विश्वनाथ   बनारस रामनगर रामलीला के बाद वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में दर्ज विश्व में दूसरे स्थान पर अपनी पहचान दर्ज करा  चुकी रसड़ा की एेतिहासिक रामलीला जी हां  आप सभी जनपद वासियों को अखण्ड भारत न्यूज परिवार के तरफ से  बताते चलें कि एक तरफ जहां मूसलाधार बारिश व वैश्विक महामारी कोवीड 19 कोरोना की भेंट चढ़ चुकी इस बार कि रामलीला हालांकि पिछले दिनों की बैठक में रामलीला कमेटी ने इस वर्ष रामलीला स्थगित करने का निर्णय सर्व सम्मत से लिया था।


इस एेतिहासिक रामलीला में जहां यूपी बिहार से लाखों की भीड़ को देखते हुए कोरोना महामारी का खतरा बढ़ने के मद्देनजर इस वर्ष मेला आयोजन नहीं का निर्णय लिया गया है इसके बावजूद कुछ औपचारिकताएं जरूर ही पूरी की जायेंगी।

हालांकि मेला कमेटी इस प्रयास में है कि शासन का गाइड लाइन का पालन करते हुए छोटा रावण का पुतला विजय दशमी के दिन वैदिक मंत्रोच्चारण कर विधिः विधान से पूजन अर्चन कर रावण को महज़ पांच लोगों द्रारा जलाया जाय हालांकि अभी मंथन चल रहा है कन्फर्म नहीं है इस वर्ष रामलीला नहीं लगने से जहां एक तरफ़ बच्चों में मायूसी है तो वहीं लाखों दर्शक रामलीला का आनंद नहीं ले पायेंगे ।



इतिहास के पन्नों में दर्ज सैकड़ों वर्षों बाद पहली बार एेसा होगा कि ऐतिहासिक रामलीला मैदान की विहंगम सीढ़ियां, रामलीला मैदान में अध्योध्या, अशोक वाटिका, लंका में विजय दशमी के दिन सन्नाटा छाया रहा ।


वैश्विक महामारी कोवीड 19 कोराना के चलते स्थगित हो चुकी रसड़ा की रामलीला का इतिहास के पन्नों में दर्ज बुजुर्गों के अनुसार वर्ष 1830 में नगर के बरनवाल जाति के पुरखा पुरंदर लाल ने सर्व प्रथम रामलीला का आयोजन किया था। बाद में चलकर इस रामलीला का नेतृत्व कलवार बिरादरी के हाथों में आ गया। 1921 में नगर के निवासी सीताराम ने रामलीला की पूरी कमान अपने हाथों में ले लिया और लगभग 25 वर्षों तक लगातार अपने जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए रामलीला का आयोजन करते रहे। तत्पश्चात रामलीला कमेटियों के माध्यम से रामलीला का आयोजन प्रतिवर्ष होता आ रहा था। सीताराम के सहयोग से भैरो बाबा ने बड़े गोपनीय तरीका से


 रामलीला मैदान में एक सुरंग का निर्माण कराया। इस सुरंग का उपयोग आज भी सती सुलोचना प्रसंग में किया जाता है


जो आज भी डिजिटल युग में दर्शकों व मेलार्थियों के लिए कुछ समय के लिए रहस्य बन जाता है। विजय दशमी के दिन नगर में स्थापित पांच दर्जन से अधिक दुर्गा प्रतिमाआे का जुलूस भी अपने विभिन्न कलाआें व ध्वनि प्रदूषण के बीच भक्तों के बीच  प्रदर्शन करते हुए कलाकारों के साथ रामलीला मैदान में पहुंचती है। वैसे तो इस रामलीला की सभी कार्यक्रम देख  लोगों को भाव-विह्वल कर देते हैं किंतु रामलीला में पात्रों द्वारा की गई जीवंत लीलाआें का मंचन हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक इसे एेतिहासिक बनाती है।


वैश्विक महामारी कोवीड 19 कोरोना के चलते इस वर्ष की रामलीला भले ही नहीं लगा  किंतु ये दौर यादगार रहेगा।

जैसा की अखण्ड भारत न्यूज  संवाददाता ने सबसे पहले आपको अवगत कराया था कि मथन का दौर चल रहा है जो आज सोमवार की शाम को वैदिक मन्त्रोंचार के बीच विधि  विधान पूर्वक सबसे पहले  मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का मुकुट का पूजा अर्चना करने के बाद शाम को 15 फुट का रावण जलाया गया ।

साथ ही इस बार नगर में कहीं ध्वनि प्रदूषण नहीं हुआ नहीं बिजली कटी हर साल दुर्गा भसान के दिन रात को एक बजे के बाद ही बिजली आती बरहाल  आम लोगों सहित शकुंतला पूर्वक समपन्न होने पर प्रशासन ने राहत की सासं ली ।

हालांकि सुरक्षा के मद्देनजर नगर के चौराहे सहित चप्पे चप्पे पर पुलिस व पीएसी के जवान मौजूद दिखें ।इसके बावजूद भी स्वयं प्रभारी निरीक्षक सौरभ राय व सिटी इंजार्च प्रमोद सिंह नगर में सुबह से शाम तक चक्रमण करते रहे।



पिन्टू सिंह

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