जानें कहां बलिया में तीन रुप में दर्शन देती है मां चण्डी भवानी
रसड़ा (बलिया) उत्तर प्रदेश के बलिया लखनऊ राजधानी मार्ग पर रसड़ा तहसील क्षेत्र के पहाड़पुर गांव से दक्षिण पूर्व अवस्थित उचेड़ा गांव में माँ चण्डी भवानी के भव्य मंदिर पर शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन श्रद्धालुओं का लगा तांता वैश्विक महामारी कोवीड 19 कोरोना वायरस के मद्देनजर इस वर्ष माँ का दर्शन भक्तों को सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए करना पड़ेगा । हालांकि इस वर्ष मेला पर रोक प्रशासन ने लगा दिया है।
मंन्दिर प्रशासन से अखण्ड भारत न्यूज़ संवाददाता ने दूरभाष पर बातचीत में बतलाया कि इस बार मेला नहीं लगेगा भक्तों के दर्शन के लिए मां चण्डी भवानी का दरबार सजाया गया भक्तों से निवेदन है पांच पांच की संख्या में ही दर्शन कराया जायेगा सोशल डिस्टेसिंग व सरकार का गाइड लाइन का पालन किया जायेगा । हालांकि मन्दिर पुजारी ने बतलाया कि माँ का पूजा पाठ प्रतिदिन होगा आम जनता के लिए मां दरबार खुला रहेगा।
मंहत अजय गीरी ने बतलाया कि नवरात्र में यहां माता रानी को खप्पर, प्रसाद, नारियल, चुनरी आदि चढ़ाकर पूजा आराधना करने से मां भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।
विंध्याचल की माँ विंध्यवासिनी की प्रतिमूर्ति के रूप में विख्यात इस मंदिर में मां के सिरमुखी स्वरूप का यहां भक्तों को दर्शन होता है। जो चौबीस घण्टे में तीन रूप धारण करती मां सुबह में बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था व रात्रि में वृद्धावस्था के रूप में दर्शन देने वाली माँ चण्डी नवरात्र के अलावा भी सच्चे मन से दरबार में आने वाले भक्तों की मनोवांछित मनोकामनाएं पूर्ण करती है। मां चण्डी के स्वमेव उचेड़ा गांव में अवतरित होने की कथा भी काफी कौतूहल पूर्ण है।
कालान्तर में लगभग सैकड़ों वर्षों से अधिक पूर्व मंदिर के समीपस्थ गोपालपुर गांव के एक ब्राम्हण प्रतिदिन मिर्जापुर विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने के लिये उस समय पैदल ही जाया करते थे। समय बीतता गया और एक दिन वृद्धावस्था में जब वे चलने फिरने में असमर्थ हो गये थे तो उन्होंने मां के दरबार में माँ से गुहार लगाते हुए कहा माँ अब मै आपके पास नहीं आ पाऊंगा। इसलिये अब आपको मेरे साथ ही चलना होगा। यह सुन मां विंध्यवासिनी ने भक्त को सपनों में अपेक्षित आश्वासन दिया। वहां से लौटने के बाद उक्त ब्राम्हण रोज की तरह अपने घर में सो रहे थे, कि एक दिन सपनों में माँ ने मंदिर के स्थान पर स्वमेव अवतरित होने की बात बतायी स्वपन देखते ही ब्राम्हण की नींद टुट गयी और सुबह होते गोपालपुर गांव से पैदल निकल गये।
अगले अंक में आगे की कहानी
पिन्टू सिंह
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