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प्रभु की कृपा के लिए भक्ति की आवश्यकता :-पंडित अवध बिहारी चौबे




दुबहर, बलिया :-क्षेत्र के नगवा गांव में 20 नवंबर से चल रहे श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिन बुधवार को सुदामा चरित्र और रुक्मणी विवाह का वर्णन किया गया। 

प्रवचन करते हुए कथावाचक पंडित अवध बिहारी चौबे ने कहा कि सुदामा और कृष्ण की दोस्ती इतनी प्रगाढ़ थी की सुदामा के भगवान कृष्ण के द्वार पहुंचते ही उनके चरण भगवान ने आंसुओं से धोए। 

कहा कि जीव का ब्रह्म से मिलन ही महारास है। कृष्ण गोपियों के साथ महारास करते हैं तो गोपियां कृष्ण रूपी ब्रह्म में सब कुछ भूल कर ईश्वर का दर्शन करती है। बतलाया की महारास भक्ति की चरम सीमा है। महारास का दर्शन ईश्वर का साक्षात दर्शन करने के समान है। उन्होंने श्रीमद् भागवत कथा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि भागवत प्रेम, सहिष्णुता, श्रद्धा, भक्ति और समर्पण की प्रेरणा देता है। इसे आत्मसात कर लेना ही ईश्वर का साक्षात्कार करने के समान है। कहा कि श्रीमद्भागवत के एक अक्षर के श्रवण मात्र से एक धाम, एक वेद, एक युग का साधन हमें प्राप्त होता है। भागवत कथा का रसपान कराते हुए उन्होंने कहा कि जीव को चाहिए कि वह परमात्मा की सबसे बड़ी सत्ता का अनुभव व चिंतन करते हुए जीवन का निर्वहन करें।  इस दौरान कृष्ण और रुक्मणी विवाह में श्रद्धालु जमकर झूमे।   

इस मौके पर प्रमुख रूप से राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक शिवजी पाठक, पंडित कमल बिहारी चौबे, पंडित धनंजय उपाध्याय,राकेश पाठक, हरे राम पाठक, जगेश्वर मितवा ,अरुण सिंह ,संजय पांडे, बब्बन विद्यार्थी, अनमोल, विनोद पाठक ,संजीव पाठक ,गिरधर पाठक ,जगदीश पाठक, श्री राम पाठक आदि लोग मौजूद रहे। सामाजिक चिंतक बब्बन विद्यार्थी तथा मध्यान भोजन योजना के जिला समन्वयक अजीत पाठक ने भजन गायकों को पुरस्कृत किया।



रिपोर्ट : नितेश पाठक

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