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बलिया में दस्तक अभियान शुरू : पहली बार दस्तक अभियान के तहत घर-घर ढूंढे जा रहे टीबी रोगी

 


रिपोर्ट : धीरज सिंह

- 24 मार्च तक चलेगा अभियान 

- घर-घर दस्तक देंगी आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

बलिया : देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिए इस बार इसे  दस्तक अभियान का भी हिस्सा बनाया गया है। पहली बार दस्तक अभियान के दौरान घर-घर टीबी के मरीज ढूंढे जाएंगे। यह अभियान बुधवार को शुरू हुआ  जो 24 मार्च तक चलेगा। अभियान के दौरान घर - घर दस्तक देकर लक्षणों के आधार पर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संभावित टीबी रोगियों का पता लगाएंगी ।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ० आनंद कुमार ने बताया कि पहली बार दस्तक अभियान में टीबी रोगियों को खोजने की जिम्मेदारी आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को दी गई है। बुखार के रोगियों, क्षय रोगियों के साथ जन्म-मृत्यु पंजीकरण से वंचित लोगों, कुपोषित बच्चों और दिमागी बुखार से दिव्यांग हुए लोगों की सूची  भी तैयार करने को कहा गया है।

उन्होंने बताया कि दस्तक अभियान के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा टीबी रोगी ढूंढे जा सकेंगे, क्योंकि इस अभियान का दायरा जिले के हर घर तक है। साथ ही बताया कि आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बुखार के रोगियों को ढूंढने के साथ-साथ टीबी के लक्षण वाले रोगियों को भी ढूंढेगी। ऐसे रोगियों की जानकारी हेल्थ वर्कर एएनएम के माध्यम से ब्लॉक मुख्यालय तथा राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) स्टाफ को देंगी। सूचना के आधार पर जांच कराकर टीबी रोगी का नि:शुल्क इलाज कराया जाएगा।

क्षय रोग के जिला कार्यक्रम समन्वयक आशीष कुमार सिंह के मुताबिक वर्ष 2017 से ही दस्तक अभियान चलाया जा रहा है,  लेकिन इस  बार इसमें टीबी को भी जोड़ा गया है। अगर किसी को दो सप्ताह से अधिक समय से  खांसी आ रही है, शाम को पसीने के साथ बुखार होता है, तेजी से वजन घट रहा है, सीने में दर्द है, भूख नहीं लगती है और दवा लेने के बावजूद खांसी स्थाई तौर पर नहीं रुक रही है तो यह टीबी का लक्षण हो सकता है। ऐसे लक्षण वाला व्यक्ति मिलने पर उसकी सूचना ब्लॉक मुख्यालय तथा एनटीईपी स्टाफ को दी जाएगी।

एक नजर टीबी रोगियों पर;-

जिला कार्यक्रम समन्वयक ने बताया कि वर्तमान में जनपद में 2353 एक्टिव मरीज़ हैं, जिनमे 112 एमडीआर के मरीज़ हैं| वर्ष 2020 में सरकारी अस्पताल में इलाज लेने वाले मरीज 2646 हैं। वहीँ वर्ष 2020 में प्राइवेट अस्पताल में इलाज लेने वाले मरीज 718 हैं। जिले में जनवरी 2020 से दिसंबर 2020 तक कुल 2153 टीबी रोगियों को निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह की रकम उनके खाते में दी जा चुकी है।

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