Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

कब पूरा होगा सुरहा ताल को पक्षी विहार बनाने का 'चंद्रशेखर' का स्वप्न



- अपने जीवन काल में पूर्व प्रधानमंत्री ने सुरहाताल में तमाम योजनाएं


 बलिया। एक जमाने में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने विशिष्टता से लेबरेज सुरहा ताल को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने का न सिर्फ सपना देखा था बल्कि उसे अमलीजामा भी पहनाया, लेकिन उनके देहावसान के साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई सुरहा ताल के विकास की परियोजनाएं जहां की तहां ठप्प हो गई। आलम यह है कि कल तक पक्षी विहार के रूप ख्यातिलब्ध सुरहा ताल आज अपनी उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है। 
वैसे सुरहाताल की विशेषताओं, विविधताओं एवं विभिन्नताओं को देखा जाये तो सुरहाताल में पर्यटन का हब बनने की अपार संभावनाएं विद्यमान हैं। यद्यपि कि सुरहाताल को पर्यटन बनाने की कवायद भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व० चन्द्रशेखर जी ने अपने जीवन काल में शुरू की थी और अपने प्रयास से सुरहाताल को पक्षी विहार बनाने में अहम् भूमिका निभाई और सुरहाताल को पर्यटन के रूपमें विकसित करने हेतु अनेक कार्य योजनाएँ भी उन्होंने बनाया था, किन्तु उनका सपना अधूरा ही रह गया।

सुरहाताल को पर्यटन केन्द्र बनाने की संभावनाओं को देखें तो सबसे पहले इस क्षेत्र की जैविक विविधताओं को देखना होगा जो न केवल क्षेत्रीय पर्यटकों के लिए, बल्कि विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं। विभिन्न प्रकार की दुर्लभ मछलियों एवं विभिन्न प्रकार की रंग - बिरंगी पक्षियों के कलरव एवं उनके सौन्दर्य को निहार कर मन आह्लादित कर देने वाली साईबेरियन पक्षियों को संरक्षण प्रदान कर देशी एवं विदेशी पर्यटकों हेतु सुरक्षित , संरक्षित एवं अभिरक्षित करना होगा। ये पक्षियाँ निश्चित तौर पर पर्यटकों को आकर्षित करेंगी।सुरहाताल को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने हेतु इस ताल की अपार जलराशि का उपयोग नौकायन के लिए किया जा सकता है। यदि सुरहा ताल को नौकायन हेतु विकसित कर दिया जाय तो स्थानीय, देशी एवं विदेशी पर्यटकों के लिए पर्यटन का द्वार खुल जायेगा। इस सुरहाताल में पर्यटन के जो भी पर्यटन के आयाम हैं, वो पूरे वर्ष पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए माकूल दशाएँ उपलब्ध कराने में सक्षम हैं। जबकि ऐसा बहुत कम पर्यटन स्थलों पर मिलता है।

 लेकिन इस सुरहाताल को को पर्यटन केन्द्र केक्षरूप में विकसित करने हेतु बहुत कुछ करना पड़ेगा। सबसे पहले तो सुरहाताल के चारों तरफ किनारे तट तक पहुँचने हेतु सम्पर्क मार्ग की आवश्यकता है । चूँकि सुरहाताल की स्थिति लगभग गोलाकार है, इसलिए सुरहाताल के चतुर्दिक यदि एक रिंग रोड का निर्माण कर दिया जाय तो प्रत्येक क्षेत्र से पर्यटक आकर इस पर्यटन केन्द्र का आनन्द उठा सकते हैं। चूँकि सुरहाताल में पर्यटन का कार्य पूरे वर्ष चलता रहेगा, इस लिए इह ताल के चतुर्दिक रूकने के लिए गेस्ट हाउस का भी निर्माण होना चाहिए। इसकू लिए गाँव पर्यटन की संकल्पना के तहत गाँवों में भी हाली डे होम का निर्माण करने हेतु गाँव के नागरिकों को भी प्रेरित किया जा सकता है। इससे एक तरफ जहाँ गाँवों की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी, वहीं दूसरी तरफ गाँव के युवकों की बेरोजगारी भी दूर होगी। नौकायन में भी गाँव के बेरोजगार युवकों एवं सक्षम नाविकों को लगाना बेहतर होगा।नौकायन हेतु सुरहाताल को कटहल नाला को भी जोड़ना होगा। इसके लिए कटहर नाला की विधिवत साफ- सफाई कर उसे गंगा एवं सुरहाताल से सम्बद्ध कर देने से नौकायन को सुव्यवस्थित स्वरूप प्रदान किया जा सकता है। सुरहाताल के चतुर्दिक सुरक्षा की भी समुचित व्यवस्था करनी होगी, ताकि पर्यटक निर्भय होकर यहाँ आ सकें।
इस प्रकार यदि सुरहाताल को पर्टक केन्द्र के रूप में यदि विकसित कर दिया जाता है तो न केवल इससे इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इस पर्यटन से बलिया जनपद के युवकों की बेरोजगारी भी दूर होगी और जनपद की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। उद्योग विहीन इस बलिया जनपद के प्रमुख स्थलों को पर्यटक केन्द्रों के रूप में विकसित करना न केवल आवश्यक है, बल्कि अनिवार्य है।

By-Ajit Ojha

No comments