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कुपित हुई गंगा तो तालाब में तब्दील हुआ 'आचार्य' का पैतृक गांव

#  नहीं ले रहा कोई सुधि



बलिया । हिन्दी जगत् के शीर्षस्थ साहित्यकार आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के पैतृक गांव एवं सांसद आदर्श ग्राम के रूप में चयनित 'ग्राम पंचायत ओझवलिया' में बाढ़ ने काफी तबाही मचायी है । सबसे ज्यादा नुकसान किसानों एवं मजदूरों का हुआ है जिनकी सैकड़ों बीघा, परवल, मक्का, धान, मिर्च, बैगन, भिण्डी, टमाटर आदि सब्जियों की फसल गंगा में समाहित होने के कारण किसान इस समय भूखमरी के कगार पर आ चुके है।
 खेती से जीवन-यापन करने वाले किसानों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई हैं।  वहीं दुसरी तरफ गाँव के छोटे दुकानदारों एवं ठेले, खोमचे वालो के दुकान व घरों में पानी घुसने के कारण दुकानदारी बन्द है, जिससे उनकी व्यावसायिक क्षति के साथ-साथ लोगों को दैनिक जरूरत की वस्तुएँ भी मिलना मुश्किल हो गया है। सबसे ज्यादा प्रभावित ओझवलिया का पुरवा डमर छपरा, त्रिलोकपुर मठिया, आर्त दुबे के छपरा, हरिछपरा एवं सरवहनपुर है। जहाँ कई लोगों ने अपने परिवारजनों को रिश्तेदारों के यहाँ  भेज दिया है। 

बिजली काटे जाने के कारण पानी टंकी बन्द है, जिससे एक तरफ जहाँ शुद्ध पीने का पाना नसीब नहीं हो रहा है क्योंकि अधिकांश हैण्डपम्प पानी में डूब चुके है वहीं दुसरी ओर मोबाइल चार्ज नहीं होने के कारण लोगों का बाहरी दुनिया से सम्पर्क टूट गया है । प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से ओझवलिया के लोगों को सर्प व जहरीले कीड़ों के भय के वातावरण में रात गुजारना पड़ रहा है। शौचालय में पानी भर जाने के कारण वृद्धों व महिलाओं को शौच के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। बीमार व्यक्तियों की दवाई व देखभाल करने में बाढ़ पीड़ितों को जूझना पड़ रहा है ।

 आचार्य पं.हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मारक समिति ओझवलिया के सचिव सुशील कुमार द्विवेदी ने कहा कि इस मुसीबत की घड़ी में अभी तक शासन-प्रशासन अथवा कोई भी जनप्रतिनिधि ने ओझवलिया बाढ़ पीड़ितों की सुधि लेने नहीं आये और ना ही किसी जिम्मेदार व्यक्ति को इनकी मदद के लिए भेजा गया। शासन के तरफ से न तो राहत-सामग्री भेजी गयी और न हीं पशुओं के  निवाले के लिए भूसा/ चारा की व्यवस्था की गयी। उन्होंने कहा कि धरनीपुर (दुबहड़) से रेपुरा मौजा तक अर्धनिर्मित बांधों को पूर्ण एवं मरम्मत कराये बगैर दर्जनों गाँवों को बाढ़ की त्रासदी से मुक्ति मिलना असंभव है। 

इसके लिए विगत पाँच वर्षों से मेरे द्वारा सांसद, विधायक, जिलें के नोडल अधिकारी, जिलाधिकारी सहित केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तक को पत्रक देकर " गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग, पटना  (जेएफसीसी) के पास लम्बित पड़ी प्रोजेक्ट की फाइल को स्वीकृत कराने एवं उक्त बंधे की मरम्मत व अधूरे रिंगबंधे का निर्माण कराने हेतु आग्रह किया गया किन्तु किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया । जिससे गंगा में थोड़ा भी पानी बढ़ जाने पर हमेशा ओझवलिया में बाढ़ का पानी आ जाता है। सुशील कुमार द्विवेदी ने  सभी शासन-प्रशासन जनप्रतिनिधियों,एवं समाजसेवीयों से ओझवलिया के लोगों के लिए सहायता की गुहार लगायी है।


By-Ajit Ojha

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