ओडीएफ के चक्कर में फंसे डीपीआरओ, सस्पेंड
बलिया। बलिया जिले में कागजों में शौचालय बनाकर गांवों को ओडीएफ घोषित करना हुजूर को उस समय भारी पड़ गया जब शासन ने उनके निलंबन का बकायदा फरमान जारी कर दिया। हम बात कर रहे हैं आंकड़ों की बाजीगरी कर गांवों को ओडीएफ घोषित करने में महारत रखने वाले जिला पंचायत राज अधिकारी शेषदेव पाण्डेय की,जिन्हें अखिरकार अपनी करनी का फल भुगतना पड़ा। इतना ही नहीं शासन ने डीपीआरओ पर लगे सभी आरोपों की जांच की जिम्मेदारी भी उप निदेशक (पंचायत) वाराणसी मंडल को सौंप दी है। निलंबन अवधि में डीपीआरओ श्री पाण्डेय पंचायती राज निदेशालय लखनऊ उप्र के निदेशक के कार्यालय से संबद्ध रहेंगे।
गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण)के तहत जिले में घोषित ओडीएफ गांवों की जांच में बहुत शिकयतें मिली थी। साथ ही घोटालों की भी आशंका व्यक्त की गयी थी। जिसे संज्ञान लेते हुए मिशन के निदेशक ने त्तकालीन डीपीआरओ को 29 मई 2019 को तीन माह के भीतर 915 गांवों के सत्यापन करने का निर्देश दिया था, लेकिन उसमें जिला पंचायत राज अधिकारी ने कोई रुचि नहीं ली। नतीजतन न तो सत्यापन कार्य पूरा हुआ न ही जांच टीम द्वारा पाई गई खामियों को पूरा किया गया। यहीं कारण रहा कि 06 सितम्बर 2019 की आनलाइन रिपोर्ट में ओडीएफ घोषित 1844 ग्रामों में से उप निदेशक (पंचायत) व मंडलीय टीमों द्वारा 1094 ग्रामों में कमी मिलने पर निरस्त कर दिया गया था। फिर भी डीपीआरओ व उनके अधीनस्थों ने ना तो अपना रवैया बदला और ना ही शासकीय कार्यो के प्रति लापरवाही। यहीं चूक डीपीआरओ पर भारी पड़ गयी और शासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए उप्र सरकारी सेवक(अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के अंतर्गत डीपीआरओ शेष देव पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का फरमान जारी करते हुए पूरे प्रकरण पर जांच बैठा दी। सस्पेशन की अवधि में डीपीआरओ को नियमानुसार गुजारा भत्ता के तौर पर आधा वेतन ही देय होगा।
By-Ajit Ojha
ओडीएफ के चक्कर में फंसे डीपीआरओ, सस्पेंड
Reviewed by Akhand Bharat Samachar
on
October 31, 2019
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