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घर में रखे सोने के चक्कर में पड़ेगा आपको रोना, जाने क्यों?



बेंगलुरू। क्या आप जानते हैं कि आपके स्वर्ण आभूषणों में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) वाले हॉलमार्क नहीं है तो उसके शुद्धता संदिग्ध  है। अगर मालूम हैं तो सोने के नए आभूषणों के साथ-साथ घर पड़े स्वर्ण आभूषणों को हॉलमार्क करवा लें, क्योंकि सरकार ने 15 जनवरी, 2021 तक सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है और उसके बाद बिना हॉलमार्क वाले सोने की वैल्यू कम हो जाएगी। यही नहीं, जरूरत पड़ने पर उसको बेचने पर औने-पौने कीमत मिलेंगी, वह अलग।


गौरतलब पिछले वर्ष दिसंबर माह में उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान में सोने के हॉलमार्किंग अनिवार्यता का ऐलान किया था। मंत्रालय के मुताबिक 15 जनवरी 2020 तक इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। हालांकि सरकार सर्राफा कारोबारियों को पुराना स्टॉक निकालने के लिए एक वर्ष का समय दे सकती है।

सोने के हॉलमार्किंग के लिए अधिकृत बीआईएस ने तीन श्रेणियों में क्रमशः 14 कैरट, 18 कैरट और 22 कैरट के लिए हॉलमार्क के मानक तय किए हैं। चूंकि अभी हॉलमार्क स्वैच्छिक है इसलिए लोगों को अपने घरों में पड़े गैर हॉल मार्क वाले सोने की हॉल मार्किंग के लिए नजदीकी बीआईएस केंद्र पर जाकर प्रक्रिया पूरी कर लेना चाहिए वरना फिर बाद में पछतावा ही हाथ लगेगा।

माना जा रहा है कि हॉलमार्किंग अनिवार्य होने से सोने की खऱीदारी के समय उसकी शुद्धता पर ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा, क्योंकि मौजूदा दौर में ज्वेलर्स ज्यादा कैरेट बताकर कम कैरेट वाला सोना ग्राहकों को बेच रहे हैं, लेकिन हॉलमार्किंग लागू होने के बाद ज्वेवर्स के लिए ऐसा करना पाना संभव नहीं होगा।

फिलहाल अभी 14, 16 और 22 कैरेट के गोल्ड आभूषण पर हॉलमार्किंग जरूरी किया गया है। कैरेट वह मानक है जिसे सोने में मिश्रित धातुओं (जिंक, निकेल आदि) की मात्रा का पता चलता है। चूंकि शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है, लेकिन आभूषण बनाने के लिए ज्वैलर्स सोने में जिंक, निकेल और चांदी का इस्तेमाल करते हैं।



लेकिन होता है यह है कि ज्वेलर्स 18 कैरेट सोने को भी 22 कैरेट का बताकर ग्राहकों को चूना अभी आसानी से लगा रहे हैं, लेकिन आभूषणों में हॉल मार्किंग अनिवार्य होने के बाद ज्वैलर्स ऐसा नहीं कर पाएंगे, क्योंकि ज्वैलर्स जब आभूषण तैयार करवाने के बाद हॉल मार्किंग के लिए बीआईएस जाएगा तो उसके आभूषण में मौजूद शुद्ध सोने के हिसाब से ही हॉल मार्किंग होगी।

गोल्ड हॉलमार्किंग नहीं, तो ज्वेलर्स को हो सकती है जेल

केंद्र सरकार का कहना है कि सोने के आभूषणों की हॉल मार्किंग में ज्वेलर्स को एक साल का वक्त इसीलिए दिया गया है ताकि ज्वेलर्स अपने सभी स्टॉक को हॉलमार्क करवा लें और इस दौरान ज्यादा से ज्यादा हॉलमार्क करने वाले सेंटर भी खोले जा सकें, लेकिन जो भी ज्वेलर इस फैसले को नहीं मानेगा उस पर कम से कम एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है और एक साल की जेल भी हो सकती है। इसमें कोई दोराय नहीं कि सोने के सभी आभूषणों की अनिवार्य रूप से हॉलमार्किंग कराने के इस फैसले से सर्राफा उद्योग में विश्वास का माहौल बनेगा और कारोबारियों और ग्राहकों दोनों का इससे फायदा होगा।


डेस्क

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