Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

जब ‘मां’ से मिलने ‘गंगा’ पहुंची धाम


बलिया। इसे चमत्कार कहें या फिर आस्था का असर लेकिन है अकाट्य सत्य, पकड़ी धाम काली मंदिर के स्थापना के समय आयोजित यज्ञ में होने वाले कलश यात्रा से पूर्व गंगा नदी वैशाख के महीने ऊफानाती हुई मंदिर परिसर के करीब स्थित त्रिवेणी संगम तक पहुंच गयी। जब इस बात की भनक भक्तों को लगी तो गंगा को देखने के लिए लोगों का रेला उमड़ पड़ा। इस घटना के प्रत्यक्ष गवाह सैकड़ों ग्रामीण बने। तभी से लोगों के आस्था का केन्द्र पकड़ी धाम मंदिर बन गया और प्रत्येक शनिवार को यहां भक्तों का हुजूम उमड़ने लगा। यह आस्था का आलम है कि और वर्तमान में यहां आने वाले असंख्य असाध्य रोगों से पीड़ित लोग माँ की कृपा से स्वस्थ और भला चंगा होकर हँसते-खेलते अपने आशियाने को लौटते है। तभी तो प्रत्येक शनिवार को पकड़ी धाम में मेला लगता है। 


फेफना थाना क्षेत्र के वैना पकड़ी गाँव स्थित काली मंदिर के पुजारी रामबदन भगत की माने तो वर्ष 2008 के 28 जून  को मां के मंदिर की नीव रखी गयी और उसी समय स्थापना के लिए यज्ञ भी आयोजित किया गया था। बकौल रामबदन भगत, यज्ञ के लिए जून का महीना था, प्रचंड़ गर्मी के आगे सबका हौसला पस्त पड़ रहा था। इसी बीच सागरपाली निवासी श्रीराम चौधरी के उलाहने पर मेरे मुख से निकला कि मां काली की महिमा होगी तो गंगा जी स्वयं यहां आ जायेंगी। भगत बताते है कि उनकी फरियाद को मां काली ने सुन लिया और तीसरे दिन ही गंगा नदी में इतनी बाढ़ आयी कि नदी केशोपुर घाट से चल कर सागरपाली स्थित त्रिवेणी संगम तक पहुच गई,जो मंदिर के बहुत ही करीब है। इसके बाद मां काली के भक्तों ने सागरपाली त्रिवेणी संगम से ही यज्ञ के लिए कलश में जल भरा। इस घटना के प्रत्यक्ष दर्शी सागरपाली गाँव निवासी श्रीराम यादव के अलावा साधु भरत सिंह,नगीना नगर के मंगला सिंह,पकड़ी के गंगा यादव,वैना के शिवजी सिंह आदि है। इसके बाद यज्ञ के दौरान ही घनघोर बारिश होने लगी,जो लगातार कई दिनों तक जारी रही। तब ग्रामीणों की गुहार पर भगत रामबदन दास ने मां काली से अरज लगायी और पलक झपकते ही बरसात बंद हो गयी। हालांकि बारिश के दौरान मां के भक्तों की आस्था में कही कोई कमी नहीं आयी।

बताते है कि तीन दिनों तक यज्ञ चला और गंगा का पानी हिलोरे मारता रहा और यज्ञ समाप्त होते ही नदी में आई बाढ़ समाप्त हो गयी। जून के महीने में घटित यह घटना स्वयं में अनोखी और अद्भुत है। मां काली के अन्नय भक्त और उपासक रामबदन भगत की माने तो यह मां की कृपा का ही परिणाम है कि सुगर के मरीज मां के चढ़ावे जलेबी व बताशा का सेवन कर न सिर्फ स्वस्थ्य होते है बल्कि उनका सुगर लेबल भी सामान्य हो जाता है।

भगत बताते है कि बलिया जनपद के सरया डीहू भगत गाँव निवासी विपीन शर्मा पुत्र स्व0 देवनाथ शर्मा पैर में दर्द व अकड़न के चलने फिरने में असमर्थ हो गये थे। तमाम बड़े अस्पतालों में उपचार के बाद भी उसे कोई लाभ नहीं हुआ। इसके बाद वो मां की शरण में आये और पूजा पाठ के उपरांत उनका दुख जाता रहा। इतना ही नहीं बिहार प्रांत के भोजपुर जनपद अंतर्गत चकवथ गांव निवासी ऊषा देवी पत्नी चन्द्रमा ओझा को गले में लकवा मार दिया था लेकिन मां के प्रसाद मात्र के सेवन से उनका शरीर पूर्ववत हो गया। 

इसके अलावा बिहार के ही रोहतास जिला के गंजभडसरा गाँव निवासी इन्द्रजीत कुमार पुत्र सत्यनारायण सिंह का तो शरीर ही धीरे धीरे काम करना बंद कर दिया था, लेकिन मां के पूजा-पाठ करने और प्रसाद का सेवन ही उसे नया जीवन प्रदान किया। इससे इत्तर बलिया जनपद के दंतुमठ, आखार निवासी मनोज गिरी पुत्र स्व0 दशरथ गिरि के कमर का दर्द बीएचयू के चिकित्सक ठीक नहीं कर पाये लेकिन मां के शरण में जाने मात्र से उसका रोग ठीक हो गया। मंदिर के पुजारी रामबदन भगत बताते है कि इसके अलावा सैकड़ो ऐसे असाध्य रोगों से पीड़ित लोग मां काली की कृपा से स्वस्थ और नव जीवन प्राप्त कर अपने गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे है।



By-Desk

No comments