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शिक्षकों के शोषण का केंद्र बने प्राइवेट स्कूल




मनियर, बलिया । शासन के लाख दिशा निर्देश के बावजूद भी प्राइवेट विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का विद्यालय  प्रबन्धकों द्वारा शोषण हो रहा है । उनकी स्थिति बंधुआ मजदूर से भी बदतर है। मान्यता प्राप्त अधिकांश विद्यालय शिक्षकों का शोषण कर रहे हैं। हाई स्कूल, इंटर, बी ए, एम ए, बी एड्
टेट, सुपर टेट क्वालिफाइड टीचर बेरोजगारी में मात्र पन्द्रह सौ रुपए से लेकर छः सात हजार रुपये के मानदेय पर अपने क्षेत्र में प्राइवेट विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं।

25 मार्च से शासन द्वारा जारी लाक डाउन के चलते विद्यालय बंद कर दिए गए। कुछ विद्यालय वार्षिक परीक्षा करा लिए थे तो कुछ अभी तक वार्षिक परीक्षा नहीं करा पाए थे।मार्च लास्ट वीक में विद्यालय बंद होने के कारण अधिकांश विद्यालय अभी अप्रैल माह का मानदेय तो दूर मार्च महीने का भी मानदेय अध्यापकों को नहीं दे पाए हैं।

इन अध्यापकों से अच्छा तो मनरेगा मजदूर हैं जिन्हें सरकार उनके खाते में बिना कार्य किए रुपए भेज दे रही है। फ्री में उन्हें राशन भी मिल  रहा है। सरकार प्राइवेट विद्यालय के अध्यापकों का वेतन देने के लिए प्रबंधकों को निर्देश भी जारी की है। कुछ बीएसए ने तो स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि जो व्यवस्थापक अध्यापकों की सैलरी नहीं देंगे उन विद्यालयों की मान्यता रद्द की जाएगी लेकिन इसका खौफ थोड़ा भी विद्यालय प्रबंधकों के ऊपर नहीं है। नाम न छापने की शर्त पर कई अध्यापकों ने बताया कि गर्मी की छुट्टी से पहले विद्यालय का संचालन संभव नहीं है। विद्यालय कहीं जुलाई अगस्त में ही खुलने के आसार हैं। प्रबंधकों को मार्च-अप्रैल- मई-जून की सैलरी न देनी पड़े।

इससे अच्छा है कि वह उन्हें अपने यहां से निष्कासित कर दें। जब विद्यालय खुले तो फिर दूसरे अध्यापकों को रख लेंगे। बेरोजगारी के दौर में  पढ़े लिखे लोगों की कमी नहीं है। तीन-चार माह का सैलरी न देने से इससे उनको अच्छी आय हो जाएगी। इस लाभ को देखते हुए कई विद्यालय प्रबंधकों ने अध्यापकों का छंटनी करना भी शुरू कर दिए हैं। जिन्हें विद्यालय से नहीं निकालना है उन्हें मुंह बंद रखने की धमकी दी जा रही है। इस मामले को प्रशासन को स्वयं संज्ञान  लेना होगा तथा जांच करके विद्यालयों के अध्यापकों का मानदेय दिलाना होगा नहीं तो अध्यापकों को अपनी सेलरी व नौकरी से हाथ धोना  पड़ सकता है।


रिपोर्ट राममिलन तिवारी

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