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सुशांत सिंह राजपूत की राह पर 48 घंटे में ताबड़तोड़ अंतरमन को झकझोरने वाली घटनाएं


रसड़ा (बलिया)  युवा देश का भविष्य कहा जाता है, वर्तमान में वही युवा अब निराशा और अवसादग्रस्त होता नजर आ रहा है। अवसाद और निराशा के बोझ से दबे ये युवा अब आत्महत्या की तरफ मुखर हो रहा है। अकेले बलिया जनपद के रसड़ा कोतवाली क्षेत्र में ही बीते 48 घण्टे में तीन लोगों द्वारा आत्महत्या की घटना ने जनपद की मनोदशा को झकझोर दिया है।
बुधवार के  दिन रसड़ा  कोतवाली थानांतर्गत क्षेत्र के जाम गांव निवासी 37 वर्षीय प्रदीप सिंह ने पंखे से लटककर अपनी इहलीला समाप्त कर डाला।
बुधवार को  ही थाना कोतवाली क्षेत्र के दलई तिवारीपुर निवासी शशिकांत तिवारी (33) पुत्र नगेन्द्र तिवारी ने अपने नवनिर्मित घर में पाइप के सहारे फंदा लटकाकर अपनी जान दे दी।
गुरुवार को रसड़ा  कोतवाली थानांतर्गत नागपुर गांव निवासी सन्तोष कुमार सिंह (36) पुत्र पारसनाथ सिंह अपने कमरे में ही फांसी के फंदे पर झूल गए।परिजनों के अनुसार सन्तोष काफी दिनों से अवसादग्रस्त थे, जिनका इलाज गोरखपुर के किसी अस्पताल में चल रहा था।
उपरोक्त घटना तो केवल उदाहरण भर है। ऐसे अनेक घटनाएं रोज घटती है, जिस पर गम्भीरता से सोचना आवश्यक है कि वर्तमान में युवा आखिर हतोत्साहित क्यों होता जा रहा है? जनपद में महज चौबीस घण्टे में लगभग आधा दर्जन के करीब आत्महत्या की घटना ने जनपदवासियों के अंतर्मन को झकझोर कर रख दिया है। जिस जनपद की संस्कृति में आयुष्मान भवः, जुग-जुग जियो, दूधो नहाओ, पूतो फलो जैसे आशीर्वाद दिया जाता हो, आखिर उसी जनपद के युवा जिंदगी को ठोकर मारकर मौत के आगोश में क्यों चले जा रहे है। हमारा देश एक युवा राष्ट्र है अर्थात यहां युवा आबादी है, परन्तु विचलित करने वाली बात है कि ये युवा दिशाहीन और लक्ष्यहीन होकर अवसादग्रस्त हो रहा है।



रिपोर्ट पिन्टू सिंह

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