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जाने कहाँ,एएनएम ने पहले हीमोग्लोबिन की कमी बताकर प्रसूता को किया रेफर फिर बाद में मोटी रकम लेकर कराया प्रसव



मनियर, बलिया । गरीबों के  इलाज के लिए सरकार चाहे लाख योजनाएं चलाएं। लेकिन भ्रष्ट सिस्टम के कारण गरीबों के इलाज के बजाय उनका और अधिक शोषण बदस्तूर जारी है। एक ऐसा ही मामला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मनियर पर  देखने को मिला। जब मनियर थाना क्षेत्र के घाटमपुर की एक महिला प्रसव पीड़ा से राहत पाने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मनियर पर पहुंची जहां प्रसव कक्ष में उपस्थित ड्यूटीरत एएनएम से जांच कराने के बाद हिमोग्लोवीन की कमी दिखाकर  उसे जिला महिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। जिला महिला अस्पताल के पर्ची पर रेफर होने के बाद महिला एवं उसके परिजन को बताया गया कि उक्त महिला को एनीमिया है यहां उसकी डिलीवरी नहीं कराई जा सकती। उसके बाद महिला के साथ गई आशा बहू और एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के ही एएनएम ने नई चाल चली। उस प्रसव पीड़ा से ग्रसित महिला के परिजनों से आशा बहू ने कही कि एक नर्स के आवास पर चलकर के उसको दिखाते हैं। इस पर परिजन तैयार हो गए और आशा बहू उसी एएनएम के पास ले गयी  जो हॉस्पिटल में ड्यूटी रत थी। उसके मनियर बड़ी बाजार स्थित आवास पर लेकर पहुंची। वहां उक्त एएनएम ने चार हजार रुपये में डिलीवरी का सौदा तय किया और सकुशल उक्त महिला का प्रसव करा दिया।
अब लोगों का मानना है कि हीमोग्लोबिन टेस्ट रिपोर्ट जो उसके परिजनों को बताया गया कि उक्त महिला का हीमोग्लोबिन 6.7 है तो क्या यह टेस्ट गलत था?  अगर गलत नहीं था तो फिर उक्त महिला का प्रसव सकुशल कैसे हो गया? 7 से कम हिमोग्लोबिन में प्रसव कराना खतरे से खाली नहीं है। सवाल तो यह भी उठ रहा है कि कहीं कम हिमोग्लोबिन बता कर धन ऐंठने के लिए पीड़ित के परिजनों को डराया जा रहा हो। परिजनों का यह भी कहना है कि बाहर में हिमोग्लोबिन का टेस्ट कराने पर उसी समय 9. 5 आया। जिसके बाद वह नर्स इस रिपोर्ट को अपने पास ही रख ली। यहां तक कि एक इंजेक्शन लगाने को दी थी। जब झोला छाप डॉक्टर इंजेक्शन लगाने के लिए घर आया तो उस पर एक्सपायरी डेट था। उसको लगाने से उस डॉक्टर ने मना कर दिया। जब उक्त नर्स के पास वह इंजेक्शन लेकर के परिजन गए तो वह भी वह अपने पास रख ली।  मनियर रेफरल हॉस्पिटल के तौर पर फेमश है। चुकी महिमा का पहला प्रसव था पहला प्रसव के मामले में यहां का स्टाफ सुनते ही जिला महिला अस्पताल के लिए रेफर कर देता है। इस संदर्भ में हॉस्पिटल का कोई भी स्टाफ कुछ भी बताने में कन्नी काटता नजर आया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मनियर का स्टाफ बेलगाम है। अनुशासन नाम की कोई चीज नहीं। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यहां सबसे अधिक लोकल कर्मचारी रहते हैं। जो डाक्टर के आदेश का भी अवहेलना करते हैं।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉक्टर सहाबुद्दीन से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मेरे पास भी फोन आया था, लेकिन मैं बलिया कोरोना ड्यूटी में हूं। रिपोर्ट तैयार कर रहा हूं। लौट के मनियर आता हूं तो देखता हूं क्या माजरा है?



रिपोर्ट राम मिलन तिवारी

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