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शुरू हुआ ‘बाल स्वास्थ्य पोषण माह’ : पहले दिन 1134 बच्चों को पिलाई गई विटामिन-ए



4 लाख बच्चों को पिलाई जाएगी विटामिन-ए 

बलिया : नौनिहालों को कुपोषण से मुक्त रखने के लिए 14 दिसंबर सोमवार से बाल स्वास्थ्य पोषण माह शुरू हो चुका है । सोमवार को जनपद में 1134 बच्चों को विटामिन-ए पिलाई गई ।  जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ एके मिश्रा ने बताया कि यह अभियान 13 जनवरी तक चलाया जायेगा जिसमें जनपद के नौ माह से पाँच वर्ष तक के करीब 4.0 लाख बच्चों को प्रति सप्ताह तीन दिनों (सोमवार, बुधवार और शनिवार) में विटामिन-ए की खुराक पिलायी जायेगी। इसके लिए 1,155 स्वास्थ्य कर्मचारियों की टीम बनाई गयी है।

डॉ मिश्रा ने बताया कि माह भर चलने वाले इस विशेष अभियान में बच्चों को विटामिन-ए की खुराक पिलाने के साथ ही उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए आवश्यक टीके भी लगाए जायेंगे। अभियान के दौरान कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया जाएगा। ग्रामीण महिलाओं को अभियान से जुड़ी महिला कार्यकर्ता दैनिक जीवन में आयोडीन के प्रयोग की उपयोगिता से परिचित कराएंगी। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के निर्देश पर देश को कुपोषण मुक्त करने के लिए इस विशेष अभियान के लिए 385 एएनएम, 385 आशा एवं 385 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा प्रति सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुधवार और शनिवार को विटामिन-ए की खुराक पिलाने का काम दिया गया है। कोरोना महामारी को देखते हुए आशा कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया गया है कि वह बच्चों के परिवारजनों को घर से चम्मच लाने की सलाह देंगी। चम्मच के लिए आशा कार्यकर्ता उन्हें प्रेरित भी करेगी। इस अभियान में खुराक पिलाने के साथ ही बच्चों को जीवन रक्षक टीके भी लगाए जायेंगे।  

डॉ मिश्रा ने बताया कि अभियान में 4.0 लाख बच्चों को विटामिन-ए की खुराक पिलाकर उन्हें स्वस्थ जीवन की मुख्य धारा से जोड़ा जायेगा। जनपद में नौ माह से 12 माह तक के बच्चों की संख्या लगभग 23,826 है, एक वर्ष से दो वर्ष तक के बच्चों की संख्या लगभग 94,570 है जबकि दो से पाँच वर्ष तक के बच्चों की संख्या 2.81 लाख है।

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है –

नौ माह से पाँच वर्ष तक के बच्चों में विटामिन ए को बढ़ावा देना, 

सभी कुपोषित बच्चों का पुनः वजन, प्रबंधन व संदर्भन करना, 

नियमित टीकाकरण के दौरान लक्षित बच्चों के साथ आंशिक रूप से प्रतिरक्षित बच्चों को प्रतिरक्षण करते हुये शत-प्रतिशत टीकाकरण करना।  

बाल्य रोगों की रोकथाम करते हुये स्तनपान, व ऊपरी आहार, को बढ़ावा देते हुये कुपोषण से बचाव करना, 

आयोडीन युक्त नमक के प्रयोग को बढ़ावा देना।



रिपोर्ट धीरज सिंह

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