Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस : नर्स जो थाम रही सांसों की डोर, खुद कोरोना से उबरते ही कर रही मरीजों की सेवा

 


रतसर (बलिया) बात चाहे कोरोना जैसी महामारी से पीड़ित लोगों की इलाज की हो या प्रसव पीड़ा से कराहती महिलाओं की सेवा की। सभी जगह डाक्टर्स से ज्यादा नर्स की जरूरत पड़ती है। नर्सेज के बिना किसी भी रोग का इलाज सम्भव नही है। आजकल जबकि दुनिया के ज्यादातर देश कोरोना महामारी से जूझ रहे है ऐसे में नर्स कोरोना वारियर्स बनकर सभी मरीजों की सेवा करके उन्हें स्वस्थ बनाने में अपनी अहम भूमिका अदा कर रही है। इन्ही नर्सेज के योगदान को याद करने के लिए इस साल की थीम " नेतृत्व के लिए एक आवाज, भविष्य के स्वास्थ्य के लिए एक दृष्टि" को मनाया जा रहा है। संकट के इस घड़ी में घर परिवार का मोह छोड़कर नर्सें अपने दायित्व का फर्ज निभाने में जुटी है। जब पेशेवर चिकित्सक दूसरे रोगियों को देखने में व्यस्त होते है तब रोगियों की 24 घंटे देखभाल करने के लिए नर्सेज की सुलभता और उपलब्धता होती है। आज कुछ ऐसे ही नर्सो की कहानी साझा कर रहे है जो लम्बे समय से कोरोना संक्रमितों के उपचार के साथ ही प्रसव कक्ष में भी अहम सहयोग दे रही है। कोविड सुपर फैसिलिटी सेन्टर फेफना में अपनी सेवा दे रही स्टाफ नर्स इन्दु यादव बताती है कि नौकरी में कई बार ऐसे हालत होते है कि मन दुखी हो जाता है लेकिन मरीज ठीक होकर जब घर जाता है तो डिस्चार्ज होते समय दुआ देता है उस समय ह्वदय प्रसन्न हो जाता है। मानवता से बड़ी कोई सेवा नही है घरवालों को भी हमारी चिन्ता सताती है लेकिन संकट के समय में मरीजों की हमारी जरूरत ज्यादा है। सीएचसी रतसर पर तैनात प्रीति गुप्ता कोरोना संक्रमण के बीच वह लगातार अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए मरीजों की सेवाभाव में जुटी है। इस विषम परिस्थिति में ड्यूटी करने के बाद अलग कमरे में रहती है ताकि परिवार के अन्य सदस्य किसी भी प्रकार के संक्रमण से प्रभावित न हो। जब से महामारी शुरू हुई तब से वह निरन्तर ड्यूटी कर रही है। प्रसव कक्ष में मेन्टर स्टाफ नर्स के पद पर तैनात प्रीति पाण्डेय बताती है कि रात में प्रसव कक्ष में ड्यूटी करने के पश्चात दिन में कोरोना वैक्सिनेशन का टीकाकरण करनी पड़ती है। जब समय मिलता है तो फोन से ही अपने परिजनों से हालचाल जान लेती हूं। स्टाफ नर्स गिरीश सिंह ने बताया कि कोरोना पाजिटिव मरीजों के इलाज में परिवार को पीछे छोड़ दिया है। रात दिन अस्पताल में रहना, खाना-पीना यहीं से हो रहा है। परिवार की याद आती है तो बच्चों से वीडियो काल पर बात कर लेती हूं। गिरीश के अनुसार राष्ट्र और मानवता से बड़ी कोई सेवा नही है।



रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

No comments