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"स्पेशल स्टोरी" : लॉक डाउन के बाद पोषण पुनर्वास केंद्र में 139 बच्चे हुये सुपोषित


रिपोर्ट : धीरज सिंह


- इस केंद्र में अब तक 602 बच्चों को किया गया है सुपोषित 


- केंद्र में सभी चिकित्सकीय सुविधाएं एवं खान-पान मुफ्त 


बलिया : जिला चिकित्सालय में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। लॉक डाउन के बाद पोषण पुनर्वास केंद्र ने 139 बच्चों को सुपोषित किया है। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य कुपोषित और अति-कुपोषित बच्चों को सुपोषित करना है। इस केंद्र में आरबीएसके टीम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों को लाया जा रहा है। साथ ही कुछ बच्चे ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती हो रहे हैं। यह कहना है सीएमएस डॉ० बी.पी. सिंह का। 

डॉ सिंह ने बताया कि इस केंद्र में वर्तमान में 10 बच्चे भर्ती हैं। एनआरसी वार्ड में आधुनिक सुविधाएं हैं। बच्चों के खेलने के लिए खिलौने, टीवी भी हैं। गर्मियों में पंखे और सर्दियों में रूम हीटर चलते हैं। कुपोषित बच्चों को पहचान कर आरबीएसके की टीम  आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एनआरसी में भर्ती कराते हैं।

पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है जहां छह माह से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं, को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास हेतु आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है। जिला चिकित्सालय में 2 अक्टूबर 2016 में एनआरसी वार्ड की स्थापना हुई थी। तब से इस वार्ड में लगभग 602  कुपोषित बच्चों को  नई जिंदगी दी जा चुकी है। इसमें वह भी बच्चे शामिल हैं,  जो रेफर और डिफाल्टर हैं। 

एनआरसी के बारे में और जानें:-   बलिया के जिला चिकित्सालय में स्थित एनआरसी वार्ड में  नोडल डॉ विनेश कुमार, मेडिकल ऑफिसर डॉ ऋषभ सिंह 4 स्टाफ नर्स मधु पांडे, श्वेता यादव, आशुतोष शर्मा, विप्लव सिंह, एक केयरटेकर बलराम प्रसाद, कुक अमृता देवी, डाइटिशियन रेनू तिवारी हैं। डाइटिशियन रेनू तिवारी ने बताया इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को कम से कम 14 दिन या अधिकतम 28 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जैसे दूध से बना हुआ अन्नाहार, खिचड़ी, F-75 व F-100 यानी प्रारम्भिक दूधाहार, दलिया, हलवा इत्यादि, साथ में दवाइयां एवं सूक्ष्म पोषण तत्व जैसे आयरन, विटामिन-ए, जिंक, मल्टीविटामिंस इत्यादि भी दी जाती हैं।             

जन्म के कुछ महीनों के बाद बैरिया ब्लाक के अंतर्गत मिल्की गांव के उदयशंकर गौड़ की बेटी रिया कुपोषण की चपेट में आ जाने से अति-कुपोषित हो गयी। उस पर जब सुपरवाइजर शांति ओझा की नजर पड़ी तो सुपरवाइजर शांति ओझा ने बच्ची के पिता उदयशंकर गौड़ एवं माता बसंती देवी को जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी वार्ड के बारे में जानकारी दी। जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों नि:शुल्क दिया जाता है। इसके बाद रिया को 19 अक्टूबर को एनआरसी में भर्ती करवाया गया जहां रिया का इलाज चल रहा है,  रिया की मां ने बताया कि सुधार भी प्रतिदिन होता दिखाई दे रहा है।

ब्लॉक - नगरा के गाँव- गऊवापार के निवासी चंदन पटेल ने बताया कि   मेरे तीन महीने के जुड़वा बच्चे अमन और अंकिता जो एक साथ पैदा हुए थे। कुपोषण की चपेट में आ गये थे। ऐसे में  आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पूनम देवी  की नजर इन बच्चियों पर गई तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पूनम देवी ने बच्चियों की मां को जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी वार्ड के बारे में जानकारी दी। जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों निःशुल्क दिया जाता है। इसके बाद अमन और अंकिता को 21 अक्टूबर को एनआरसी में भर्ती करवाया गया है। जहाँ उनका इलाज चल रहा है और उनकी माँ सरिता पटेल ने बताया की सुधार भी दिन-प्रतिदिन होता दिखाई दे रहा है।

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