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कालाजार उन्मूलन के लिए छिड़काव जरूरी



-कीटनाशक छिड़काव को सफल बनाने के लिए  डब्ल्यूएचओ,पाथ,पीसी आई,सी-फार के प्रतिनिधियों ने किया बैठक

- घर के आस-पास रखें साफ-सफाई, करें मच्छरदानी का प्रयोग 

बलिया, 10 फ़रवरी 2022

जनपद में चलने वाले कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए डब्लू एच ओ कार्यालय में पार्टनर संस्थाओं की बैठक आयोजित की गयी। इस बैठक में डब्ल्यू एच ओ, पाथ, पीसीआई,सी-फार संस्था के  प्रतिनिधियों ने भाग लिया। वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक ताज मोहम्मद ने कहा कि कालाजार को भगाने  के लिए ग्रामीण इलाकों के मिट्टी के घरों में पनपने वाली सफेद मक्खी जिसे बालू मक्खी के नाम से भी जाना जाता हैं, को छिडकाव के जरिये ही खत्म किया जा सकता है।

उन्होने बताया कि कालाजार एक जानलेवा रोग है जो कि बालू मक्खी के काटने से फैलता है और अक्सर यह बालू मक्खी ग्रामीण क्षेत्रों में मकान की  दरारों में पायी जाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। इसमें रोगी को उपचार के साथ-साथ उन्हें पैसा भी दिया जाता है। कालाजार के लिए पाँच सौ रुपये तथा चमड़ी वाले कालाजार के लिए चार हजार रुपये दिये जाते हैं। मरीज के खाते में सहायता राशि सीधे सरकार द्वारा भेज दी जाती है। इसके अलावा इलाज और दवा नि:शुल्क उपलब्ध है।

डब्ल्यूएचओ के जोनल  कोऑर्डिनेटर डॉ० राहुल ने बताया कि कालाजार उन्मूलन की वर्तमान रणनीति के मुख्य रूप से दो स्तम्भ हैं – पहला  शीघ्र निदान और उपचार तथा दूसरा कीटनाशक दवा का छिड़काव यानी इंडोर रेजीडुअल स्प्रेइंग (आई.आर.एस)।  आई.आर.एस. एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा घर के अन्दर की दीवारों और घर में जानवरों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर दवा का छिड़काव किया जाता है ताकि कालाजार बीमारी का कारण बनने वाली बालू मक्खी से बचाव किया जा सके।  कीटनाशक का छिड़काव बालू मक्खी की संख्या को कम करता है। कीटनाशक का छिड़काव यदि सभी हिस्सों में नहीं किया गया हो तो बालू मक्खी बिना छिड़काव वाले सतह पर रह जायेगी और उसे कोई नुकसान नहीं होगा ।आई.आर.एस. की प्रक्रिया साल में दो चरणों क्रमशः मानसून से पहले यानी  मार्च से अप्रैल के बीच में और दूसरा चरण अगस्त से सितम्बर के बीच में संपन्न किया जाता है।  आईआरएस द्वारा वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम की प्रक्रिया, कालाजार के उन्मूलन की रणनीति में अहम् भूमिका निभाती है। 

पीसीआई के क्षेत्रीय प्रबंधक  विकास द्विवेदी ने बताया कि कालाजार रोग बालू मक्खी के काटने से होता है। बालू मक्खी को जड़ से समाप्त करने के लिए दवा का छिड़काव जरुरी है। बालू मक्खी से बचाव के लिए घर में छिड़काव करवाना चाहिए, जिससे मक्खियां मर जाएं। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती हैं। इससे बचाव के लिए घर के आस-पास साफ़-सफाई का ध्यान रखकर एवं मच्छरदानी का प्रयोग कर इस रोग से बचा जा सकता है।

इस बैठक में वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक ताज मोहम्मद, डब्ल्यूएचओ के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ राहुल , डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ नकीबूजमा, पाथ संस्था आरएनटीडी डॉ सुचेता, पीसीआई के रीजनल मोबिलाइजेशन कोऑर्डिनेटर विकास द्विवेदी सी-फार के जिला समन्वयक आशीष कुमार पाण्डेय आदि उपस्थित थे।


रिपोर्ट - त्रयंबक नारायण देव गांधी

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