Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

परशुराम जन्मोत्सव : अक्षय तृतीया विशेष 50 साल बाद अक्षय तृतीया पर बना अद्भुत संयोग,कर सकते है कोई भी शुभ कार्य


 





रतसर (बलिया):वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जन्मोत्सव देश के अलग- अलग हिस्सों में खास तौर से मनाई जाती है। इस बार भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव तीन मई को है उसी दिन अक्षय तृतीया भी है। तृतीया तिथि की शुरुआत तीन मई मंगलवार प्रातः 5:20 से तृतीया तिथि की समाप्ति 4 मई 2022 बुद्धवार को सुबह 7:30 तक है। उक्त आशय की जानकारी देते हुए जनऊबाबा साहित्यिक संस्था  "निर्झर" जनऊपुर के संयोजक पं० धनेश पाण्डेय ने बताया कि भगवान विष्णु के दशवें अवतार कल्कि के गुरु माने जाते है भगवान परशुराम। परशुराम जयन्ती भगवान विष्णु के छठे स्वरूप के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह कहा जाता है कि चिरंजीवी पुरुषों में से भगवान परशुराम अभी भी इस धरती पर जीवित है।" अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:I कृपःपरशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥ सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं,मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधि विवर्जित॥ अथार्त अश्वथाम,दैत्यराज बलि,वेदव्यास,हनुमान, विभिषण,कृपाचार्य,परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि इनका रोज सुबह जाप करना चाहिए। इनके जाप से भक्त को निरोगी शरीर और लम्बी आयु मिलती है। उन्होंने बताया कि इस साल अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र, शोभन योग,तैतिल करण और वृषभ राशि के चन्द्रमा के साथ आ रही है। इस दिन मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र होने से मंगल रोहिणी योग का निर्माण हो रहा है। शोभन योग के कारण इस दिन का महत्व बढ़ रहा है। इसके साथ ही पांच दशक के बाद ग्रहों का विशेष योग बन रहा है। अक्षय तृतीया पर चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ व शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेंगे। इसके अलावा शनि अपनी स्वराशि कुंभ और गुरु ग्रह अपनी स्वराशि मीन में विराजमान रहेंगे। चार ग्रहों की स्थिति से अक्षय तृतीया पर शुभ संयोग बन रहा है। यह संयोग मानव जीवन के लिए बहुत शुभकारी और मंगलकारी होगा। इस दिन दिया गया दान कभी खत्म नही होता। वह अक्षय हो जाता है। साल भर में जो मांगलिक कार्य किसी वजह से छूट गए हो वह सब इस दिन सम्पन्न हो जाते है।गृह प्रवेश,गृह निर्माण की शुरुआत,दुकान,प्रतिष्ठान आदि का शुभारम्भ और स्वर्ण खरीदने को अक्षय तृतीया का दिन बहुत शुभ माना जाता है।

रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

No comments