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मनियर में धूमधाम से मनाई गई भगवान परशुराम की जयंती



 मनियर बलिया। अक्षय तृतिया के शुभ  कस्बा स्थित परशुराम मन्दिर पर  परशुराम जयन्ती धुम धाम से मनायी गयी ।इनके विषय मे बताया जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म वैशाख मास के शुक्ल पक्ष के अक्षय तृतीया के दिन हुआ था ।इनके जन्म स्थान के बारे में विद्वानों के अलग-अलग मत हैं लेकिन मनियर भगवान परशुराम की तपोभूमि रही है । इसे इनकार नहीं किया जा सकता ।उस समय यहाँ घना जंगल था जिसमें मणिधर सर्प रहा करते थे जिसके कारण इसका नाम मणिवर फिर मुनियों द्वारा तप किए जाने के कारण इसका नाम मुनिवर पड़ा। बाद में उसी का विभत्स नाम मनियर है। भगवान परशुराम के जन्म दिन के अवसर पर अक्षय तृतीया के दिन मनियर में उनके प्राचीन  मंदिर में धूमधाम से पूजा अर्चना किया गया। मंदिर को अच्छी तरह से सजाया गया है ।पुर्व विधायक भगवान पाठक  , देवे्न्द्रनाथ  त्रिपाठी , महाशति उर्फ कंचन जी , मोहन सिह व संकल्प सिह की मौजुदगी मे पुजारी धनन्जय त्रिपाठी ने दिन के बारह बजे विधिवत पुजा अर्चना कि एव लोगो मे प्रसाद भी वितरण कराया  गया । बताया जाता है कि यहां पर अक्षय तृतीया( एक तिजिया )के नाम से  बस स्टैंड मनियर के पास एक मेला भी लगता है जो लगभग एक पखवाड़े तक रहता है





अक्षय तृतीया के दिन को लोग शुभ मुहूर्त मानते हैं एवं इस दिन को शुभ कार्य का समहुत भी करते हैं। मनियर में भगवान परशुराम की का मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है इस मंदिर का जीर्णोद्धार संवत 1625 में श्रीनाथ राय द्वारा कराया गया था इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंदिर करीब 700 वर्ष पुराना है ।लोग बताते हैं कि भगवान परशुराम  की मूर्ति पर मुगल शासक औरंगजेब ने भी प्रहार किया था जिसके कारण मूर्ति खंडित हो गई थी ।मंदिर से निकले भंवरवा हाड़ा ने अंग्रेजी सैनिकों को खदेड़ा था ।इस मंदिर के विषय में बताया जाता है अक्षय तृतीया के दिन यहां उनके परिवार के लोगों द्वारा लोगों को शरबत पिलाया जाता है लोग इस तिथि को शुभ मुहूर्त समझ कर समहुत करते हैं। अक्षय तृतीया के दिन किया गया समहुत अक्षय होता है यानी कि इसका नाश नहीं होता। ऐसा लोगों का मानना है


रिपोर्ट  राममिलन तिवारी

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