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एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु होते हैं प्रसन्न:- जीयर स्वामी




दुबहर:- भृगु क्षेत्र के जनेश्वर मिश्रा सेतु एप्रोच मार्ग के निकट हो रहे चातुर्मास व्रत में भारत के महान मनीषी  संत श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने मंगलवार की देर शाम प्रवचन करते हुए बतलाया  कि एकादशी भगवान नारायण से प्रकट व्रत है। इसलिए एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। एकादशी के दिन निराहार रहने से पूरा फल मिलता है, अगर जल पी कर रहा जाए तो कुछ कम लेकिन फल की प्राप्ति होती है। फलाहार रहकर  व्रत करने से आधा फल मिलता है। एकादशी के दिन अन्न नहीं खाना चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का दोष लगता है। एकादशी के दिन खास करके चावल नहीं खाना चाहिए। गाजर, मूली ,चुकंदर ,प्याज ,लहसुन इत्यादि  नहीं खाना चाहिए।

स्वामी जी ने कहा कि एकादशी व्रत का विस्तृत वर्णन अन्य ग्रंथों में वर्णित है। दसमी से युक्त एकादशी यानी अगर यह घड़ी भी दसमी रहे तो उस दिन एकादशी का व्रत नहीं करना चाहिए एकादशी व्रत में पूर्णरूपेण सदाचारी की तरह रहकर व्रत करना चाहिए।रात्रि में भूमि पर सोना  चाहिए और भगवान का कीर्तन स्मरण करते हुए जागरण करना चाहिए। अव्यवहारिक वार्तालाप भी नहीं करना चाहिए। एकादशी से एक दिन पूर्व और पारण के दिन गेहूं की रोटी शाक का सेवन  उत्तम बताया गया है।

एकादशी का पारण समय पर करना चाहिए नहीं तो वह भी दोष लगता है। एकादशी के पारण में अलग-अलग एकादशी व्रत के अनुरूप पारण का महत्व है। लेकिन एकादशी के पारण में मुख्य रुप से सर्व प्रथम गंगाजल या शुद्ध जल के साथ तुलसी जी के पत्ते को लेकर भगवान नारायण का नाम स्मरण करते हुए पारण करें और इसके बाद रोटी शाक इत्यादि का सेवन करना चाहिए।



रिपोर्ट:- नितेश पाठक

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