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झाड़-झंखाड़ से पटी रतसर- सुखपुरा माइनर, आखिर कैसे हो सिंचाई







रतसर (बलिया):कस्बा सहित ग्रामीण क्षेत्रों में टेल पर बसे किसानों के खेत कहां से सिंचित हो पाएंगें जब मुख्य नहर ही झाड़-झंखाड़ से पटी हो। नहरों में दोनो तरफ जंगली घास बड़े-बड़े उग आए है जो नहरों की साफ- सफाई की व्यवस्था की पोल खोल रहा है। रतसर- सुखपुरा नहर माइनर का पानी किसानों के खेतों तक पहुंचाने के लिए बनी तो है बावजूद किसानों के खेत असिंचित है। नहर के किनारे के ही खेतों में पानी के अभाव में रोपाई का कार्य नही हो पाया है। इस नहर से निहालपुर,पड़वार, सिकटौटी,जनऊपुर, मसहां,जगदेवपुर,अरईपुर, तपनी,हरिपुर,भोजपुर मठिया आदि गांवों के किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए नहर तो है लेकिन पानी का अभाव है। रतसर से सुखपुरा के मध्य नहर से खेतों की सिचाई के लिए 1962 में उत्तर- प्रदेश सरकार के  तत्कालीन सिचाई मंत्री जगन्नाथ चौधरी ने नहर का निर्माण कराया था। नहर होने के बावजूद वर्तमान व्यवस्था में नहरों की साफ-सफाई तक नही हो पा रही है। आलम यह है कि नहर के किनारे तो किसान किसी तरह सिचाई कर लेते है लेकिन झाड़-झंखाड़ के चलते टेल तक पानी न पहुंच पाता जिसके कारण सैकड़ों एकड़ खेत हर साल असिंचित रह जाते है। टेल पर बसे इन गांव के किसान शासन-प्रशासन की उदासीनता से खिन्न हैI जनऊपुर के पास नहर के दोनो पटरियों पर झाड़-झंखाड़ व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है।क्षेत्र के प्रेम नारायन पाण्डेय,लाल साहब यादव, किशुन कुमार,हरिहर गोंड सहित अन्य किसानों ने नहरों की साफ- सफाई न होने से शासन प्रशासन के खिलाफ नाराजगी व्याप्त है। किसानों का कहना है कि ऐसे में जब पानी के अभाव में धान की रोपाई नही हो पा रही है,तब कोई भी जन प्रतिनिधि किसानों की सुधि नही ले रहा है। उनकी समस्याओं के प्रति गंभीर नही है। वहीं नहरों की साफ- सफाई के लिए उच्च अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया है।

रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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