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संस्कृत से ही मानव का उत्थान संभव - प्रो. हरि प्रसाद

 



हल्दी बलिया। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान  द्वारा फरवरी माह में संचालित 20 दिवसीय आनलाइन संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षा के अन्तर्गत बौद्धिक सत्र कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस सत्र का शुभारंभ सरस्वती वंदना से सपना मिश्रा जी के द्वारा की गयी। अतिथियों का परिचय एवं संस्कृत संस्थान का वृत्तकथन  प्रशिक्षक विनय शुक्लजी के द्वारा किया गया।उन्होंने  संस्थान की रूपरेखा व्यक्त करते हुए कहा कि संस्थान की स्थापना 31 दिसंबर 1976 में हुआ तभी से यह संस्थान संस्कृत भाषा के प्रति निरंतर प्रयासरत होकर विभिन्न माध्यमों से संस्कृत वाग्व्यवहार कार्यशाला ऑनलाइन संस्कृत भाषा शिक्षण कार्यक्रम तथा अनेक सांस्कृतिक आयोजनों के द्वारा संस्कृत भाषा के विकास में निरंतर प्रयत्नशील है । प्रत्येक माह में 3 से 4 हजार तक छात्र-छात्राएं संस्कृत भाषा को सीख रहे हैं। इसके साथ-साथ वर्तमान की भावी योजनाओं के विषय को भी प्रस्तुत किया ।इस अवसर पर प्रतिभागियों के द्वारा अनुभव कथन प्रमोद , संजय,रोहित जी के द्वारा अनुभव कथन प्रस्तुत किया । तथा रिम्पा सिंह एवं पूनम जी के द्वारा संस्कृत गीत प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता  के रूप में आए हुए केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय राजीव गांधी परिसर श्रृंगेरी से पधारे शिक्षा शास्त्र विभाग के आचार्य प्रोफेसर हरिप्रसाद हेब्बार जी ने आधुनिक समय में संस्कृत भाषा की उपादेयता पर प्रकाश डाला। इसके साथ-साथ वर्तमान समय में संस्कृत के क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों से भी अवगत कराया । संस्कृत भाषा केवल पूजा पाठ की भाषा नहीं अपितु आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां संस्कृत भाषा के व्यक्तियों का योगदान संस्कृत भाषी व्यक्ति आज हर क्षेत्र में वृत्ति  प्राप्त कर रहा है । अतः भारत के प्रत्येक नागरिक को संस्कृत भाषा अवश्य सीखनी चाहिए । यदि हमें आगे बढ़ना है  तो हमें संस्कृत भाषा को सीखना होगा बिना संस्कृत ज्ञान के भारत के विषय में हम नहीं जान सकते हैं। अतः सभी को संगठित होकर के कार्य करने की क्षमता संस्कृत भाषा से ही प्राप्त होती हैं। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान निदेशक विनय कुमार श्रीवास्तव ने भी समस्त प्रतिभागियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा के लिए चलाए जा रही योजना के उपक्रम को निरंतरता प्रदान की जाएगी।  इस अवसर पर डॉ दिनेश मिश्र (प्रशासनिक अधिकारी )सर्वेक्षिका चन्द्रकला शाक्य प्रशिक्षण प्रमुख सुधिष्ठ कुमार मिश्र , प्रशिक्षण समन्वयक धीरज मैठाणी, दिव्यरंजन  समन्वयिका राधा शर्मा  का सानिध्य पाकर संस्कृत भाषा शिक्षण कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों के द्वारा अपना अनुभव कथन, लघु कथा , लघु संस्कृत नाटिका तथा संस्कृत गीतों को प्रस्तुत कर सभी के मन को मोह लिया। कार्यक्रम का संचालन  प्रशिक्षिका मीना जी के द्वारा किया गया। आचार्य नागेश दुबे जी के द्वारा पधारे हुए समस्त अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया तथा प्रतिभागी  रोहित जी के द्वारा शान्ति मन्त्र किया गया। इस अवसर पर संस्थान के समस्त प्रशिक्षक एवं संस्थान के समस्त अधिकारी गण और भारी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित रहें।

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