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दिलों को मिलाने का, दूरियां मिटाने का,रंगों में डूब जाने का त्यौहार है होली


 




रतसर (बलिया):भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार,हर पर्व का अपना महत्व है और हर किसी के पीछे एक दिलचस्प कहानी जुड़ी है। त्योहार लोगों को एक जुट करके एकत्र होने और हमारी धरोहर से हमें जोड़े रखने की एक बेजोड़ कोशिश है। जिसे हम भारतवासी हर्ष और उल्लास के साथ मनाते है। होली एक ऐसा उत्सव है जो वास्तव में भारत ही नही बल्कि पूरे उप महाद्वीप को अपने रंग में सराबोर करता है। हिन्दुस्तान में जो त्योहार सही मायनों में गंगा-जमुनी तहजीब को व्यक्त करता है वह होली ही है। भंवरों की गुनगुन, चिडियों का सरगमी कलरव,अमराइयों में बौर की मादक गंध,सरसों की पीली छटा,साथ ही कोयल की कूंक की दस्तक समेत खिलखिलाती मुस्कान लिए पलाश और टेसू के फूलों के खिलते ही होली आगमन का संकेत मिलने लगता है। फगुनी बयार चलते हैं पूरी प्रकृति मदमदा जाती है। तब आता है रंगों और खुशियों का पर्व होली। साथ लाती है आंतरिक उमंग के साथ मस्ती और मेल मिलाप की सौगात। रंगों का महान त्योहार होली हिन्दू धर्म का विश्व प्रसिद्ध त्योहार बन गया है। मंजीरा,ढोलक,मृदंग की ध्वनि से गूंजता रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह के पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली का उत्सव अपने सकरात्मक ऊर्जा लेकर आता है और आसमान में बिखरे गुलाल की तरह ऊर्जा को चारो ओर बिखेर देता है। होली में रंग लगाने के बहाने,अपना स्नेह, अपने संस्कार,अपनी विनोद प्रियता दशाने की कोशिश करने वाला व्यक्ति,सही मायनों में होली मना पाता है। रंग भी हमें विविधता देते हैं। रंग से व्यक्ति,वस्तु,परिस्थिति की पहचान होती है। रंग हमें मोहित कर सकते हैं तो वितृष्णा से भी भर देते हैं। यह रंगों का ही वैविध्य है कि वे जीवन की नीरसता को तोड़ते हैं, जीवन के स्वाद को बेस्वाद होने से बचा लेते हैं। हमें रंग भी दिए है तो प्रकृति ने तमाम तरह के रंग-बिरंगे फल फूल-पौधे, नीला और आसमां, बहुरंगी इन्द्रधनुष,स्वर्णिम आभा लिए सूरज,विभिन्न रंगों के पशु-पक्षी। होली एक सौहार्दपूर्ण त्योहार है जिसमें लोग पुरानी दुश्मनी लड़ाई,झगड़ा भुलाकर एक दूसरे का भी प्रतीक कहा गया है। इस दिन समाज में कोई ऊंच-नीच नहीं देखता। सभी लोग एक दूसरे को गले लगाकर होली का त्योहार मनाते है। इसे समाज में ऊंच-नीच की खाई कम होती है। इसलिए यह त्योहार सामाजिक महत्व भी रखता है।

रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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