Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

अहंकार भक्ति भाव में बाधक:- वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर स्वामी जी महाराज


 


दुबहर:- स्वामी वासुदेवाचार्य विद्याभास्कर जी महाराज ने नगवा में हो रहे श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन प्रवचन करते हुए कहा कि जगत के लोगों को या तो पूर्ण संसारी बनकर रहना चाहिए नहीं तो पूर्ण बैरागी यह बीच वाला कहीं से ठीक नहीं है उन्होंने उदाहरण के तौर पर अजामिल के जीवन चरित्र को बताते हुए कहा कि वह पूर्ण संसारी था सभी भोगों को भोगा लेकिन अंत में भगवान का नाम मुख पर आ जाने के कारण उसका उद्धार हो गया । कहा कि संसार में पाप की जितनी सीमा है उससे कई गुना अधिक प्रभु के झोली में पापों को क्षमा करने की सीमा है ।  कहा कि व्यक्ति के अंदर अगर रत्ती मात्र भी अहंकार है तो प्रभु में भाव नहीं हो सकता उन्होंने भक्त प्रहलाद के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि राजा हिरण कश्यप खुद को भगवान समझता था।

प्रजा को भी वह उन्हें भगवान मानने के लिए दबाव डालता था। लेकिन हिरण कश्यप का पुत्र प्रहलाद विष्णु को ही भगवान मानता थे। एक दिन हिरण कश्यप ने प्रहलाद से पूछा कि तुम्हारा भगवान विष्णु कहा रहता है। प्रहलाद जी ने एक खंबे की ओर इशारा करके कहा कि मेरा भगवान हर जगह है।


आक्रोश में आकर हिरण कश्यप ने उस खंबे को तोड़ने का प्रयास किया। खंबे के भीतर से ही भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में प्रकट हुए। उन्होंने हिरण कश्यप का वध किया।

उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु सारे जगत के पालन कर्ता है । इसलिए वे इस जगत में किसी को दुखी नहीं देखना चाहते हैं। जो दूसरों की पीड़ा को समझता है वही वैष्णव है। कथा अनेक महिला पुरुष भक्तगण उपस्थित रहे । 

इस मौके पर प्रमुख रूप से मुख्य यजमान राष्ट्रपति पुरस्कार से अलंकृत शिक्षक पंडित शिवजी पाठक इंजीनियर भगवती शरण पाठक, इंदु पाठक व डॉ जय गणेश चौबे ,पंडित अश्वनी कुमार उपाध्याय, जवाहरलाल पाठक, विश्वनाथ पाठक, विश्वनाथ पांडे, विद्यासागर दुबे , चंद्रप्रकाश पाठक राधा कृष्ण पाठक शशीकांत ओझा मोहन यादव, राकेश पाठक ,अवध किशोर पाठक , यज्ञ किशोर पाठक, बृजकिशोर पाठक, अमित पाठक, संजीव पाठक ,वर्धन आदि लोग मौजूद रहे।

रिपोर्ट:- नितेश पाठक

No comments