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बोले ग्रामीण : अब तक कटान रोधी कार्यों में खर्च धन का हिसाब लगाया जाए तो उस धन से अब तक नदियों पर बन जाता पक्का ठोकर

 




रामगढ़। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि कटानरोधी कार्यों के नाम पर यदि गंगा और घाघरा नदी में अब तक कटान रोधी कार्यों में खर्च धन का हिसाब लगाया जाए तो संभवतः उस धन से अब तक दोनों नदियों पर पक्का ठोकर बन गया होता तथा अरबों रुपयों का बंदरबांट होने से निजी व सरकारी धन का नुकसान नहीं होता। 70 के दशक में बेलहरी ग्राम सभा से प्रारंभ हुआ गंगा नदी का तांडव इन 50 वर्षों में दर्जनों गांवों, हजारों एकड़ कृषि भूमि व दर्जनों सरकारी इमारतों को अपने आगोश में ले लिया है। बाढ़ विभाग ने कर्तव्यनिष्ठा से कुछ कार्य किया। हालांकि उन कार्यों से किसी भी गावों और खेतों को नहीं बचाया जा सका । लेकिन क्षेत्र में कम आने जाने से बाढ़ विभाग ने कटानरोधी कार्य को कमाई का जरिया बना लिया। हद तो तब हो गई जब वर्षों पहले 38 करोड़ रुपए के लागत से मरम्मत किया गया दुबेछपरा रिंग बांध एक झटके में बह गया था। यह भी बता दे कि यह बांध बाढ़ खंड के करोड़ों रुपए के बाद भी अब तक तीन से चार बार टूटा। रिंग बांध टूटने के साथ ही शासन ने मुख्य अभियंता स्तर से एक अधिकारी से जांच का आदेश दिया। परंतु ठेकेदारों व अधिकारियों की मिलीभगत ने जांच आज तक बलिया की धरातल पर नहीं आने दिया। 



रिपोर्ट : रविन्द्र मिश्रा 

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