धर्म की रक्षा के लिए भगवान लेते हैं अवतार : अनामानंद जी
गड़वार (बलिया) स्थानीय क्षेत्र के कोड़रा गांव स्थित सत्संग भवन में चल रहे श्री मद्भागवत गीता ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन बुधवार को कथा के दौरान श्री अनामानंद जी महाराज ने गीता के चतुर्थ अध्याय की कथा का रसोपान श्रोताओं को कराया। भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद की व्याख्या करते हुए बताया कि भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि मैने इस अविनासी योग साधना को सबसे पहले विवस्वान (सूर्य ) से कहा,सूर्य ने अपने पुत्र मनु और मनु ने इक्ष्वाकु और इक्ष्वाकु से राजर्षियों ने जाना। वहीं पुराना योग मैं तेरे प्रति कहने जा रहा हूं। इस पर अर्जुन ने भगवान कृष्ण से कहा कि आपका जन्म तो अब हुआ है,और मेरे अंदर सूर्य का संचार पुराना है तो मैं कैसे मान लूं कि इस योग को आपने ही कहा था। भगवान कृष्ण ने बताया कि अर्जुन मेरा और तुम्हारा बहुत बार जन्म हो चुका है किंतु तू उसे नहीं जानता। मुझे सब कुछ मालूम है। हे अर्जुन ! जब-जब अधर्म का पलड़ा भारी पड़ता है तब-तब मैं युग-युग में प्रकट होकर उसका विनाश करता हूं। और धर्म की स्थापना करता हूं। अनामानंद महाराज ने यज्ञ की व्याख्या करते हुए कहा कि यज्ञ माने होता है आराधना,आराधना का मतलब अपने आराध्य को याद करना,यजन करना,चिंतन करना। कथा प्रतिदिन 1 बजे से 3 बजे एवं शाम पांच बजे से देर शाम तक चल रही है। गीता ज्ञान यज्ञ कथा में सुनने के लिए भारी संख्या में क्षेत्र के बसदेवा, जनऊपुर,एकडेरवा गांव के श्रद्धालु भारी संख्या में आ रहे है। कथा का समापन एवं भंडारा आठ अक्टूबर को सम्पन्न होगा। कार्यक्रम को सफल बनाने में राधेश्याम पाण्डेय, इं०तारकेश्वर पाण्डेय,डा० मानवेन्द्र,मारकण्डेय,प्रेमनारायण पाण्डेय,शिवजी गुप्ता सहित क्षेत्रीय लोगों का सानिध्य मिल रहा है।
रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय
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