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संस्कृत भारत का प्राणतत्व है : आचार्य रामानुज

 



हल्दी, बलिया । उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित ऑनलाइन संस्कृत भाषा कक्षाओं के अन्तर्गत आयोजित बौद्धिक सत्र का आयोजन सम्पन्न हुआ।

सत्र का संचालन संस्थान की प्रशिक्षिका अनिता पाण्डेय ने किया । सत्र का आरंभ आचार्य हिमांशु द्वारा प्रस्तुत वैदिक मंगलाचरण के साथ हुआ । सरस्वती वन्दना लावण्या जी द्वारा किया गया । इसके बाद अमिता रसवन्त द्वारा "श्रुतिसारभारविचारहारम्" संस्थान गीत को प्रस्तुत किया गया। आये हुए अतिथि के स्वागत में मेघा पाठक जी द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया, 

प्रशिक्षिका दीपमाला ने अतिथि परिचय कराया और संस्थान वृत्तान्त प्रस्तुत किया ।

अन्य प्रशिक्षुओं ने जैसे - स्मिता, नीति,अंजु, स्वाती,लक्ष्मीनारायण आदि ने अपनी मंत्रमुग्ध प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया ।

आयोजित बौद्धिक सत्र में वक्ता रूप में उपस्थित चन्द्रशेखरेन्द्र गुरुकुल के अध्यक्ष आचार्य रामानुज जी ने संस्कृत भाषा की विशेषता बताते हुए कहा कि संस्कृत भाषा भारत देश का प्राण तत्व है । संस्कृत भाषा देवभाषा है ,संस्कृत भाषा के माध्यम से ही भारत के वास्तविक स्वरूप को जान सकते हैं। भारत की प्रतिष्ठा संस्कृत से अक्षुण्ण रह सकती है, संस्कृत के बिना हम भारत का तथा स्वंय की भी कल्पना नहीं कर सकते ।

इसके साथ ही संस्थान के निदेशक विनय श्रीवात्सव और सर्वेक्षिका डॉ चन्द्रकला शाक्या, समन्वयक धीरज मैठाणी, दिव्यरंजन, राधा शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। प्रशिक्षुओं ने भी स्वेच्छा से संस्कृत भाषा में गीत, वन्दना आदि प्रस्तुति देकर संस्थान और संस्कृत के प्रति अपनी रुचि को प्रकट किया ।

अन्त में प्रशिक्षिका डा. स्तुति के द्वारा बौद्धिक सत्र में उपस्थित वक्ता और प्रशिक्षक, प्रशिक्षुओं सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। प्रशिक्षु मधुरी के द्वारा शान्ति मंत्र के साथ सत्र का समापन किया गया।



रिपोर्ट एस के द्विवेदी

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