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कार्य की समय सीमा समाप्त, नहीं हो सका कटान रोधी कार्य

 



रामगढ़, बलिया । क्षेत्र के रामगढ़ और हुकुम छपरा में राष्ट्रीय राजमार्ग-31 को बचाने के लिए दो परियोजनाओं पर कटान निरोधात्मक कार्य चल रहा है लेकिन आज तक कटान रोधी कार्य को अंतिम रूप नहीं दिया गया। बाढ़ विभाग द्वारा तय समय-सीमा भी 15 जून को समाप्त हो गया बावजूद इसके विभाग द्वारा 40 फीसदी भी कार्य पूरा नहीं हो सका। जैसे-तैसें मानसून का समय नजदीक आता जा रहा हैं, सुघर छपरा, दूबे छपरा, गोपालपुर एवं उड़ई छपरा के कटान पीडितों की धुकधुकी बढ़ती जा रही हैं। सुघर छपरा के लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन से लेकर बाढ़ विभाग रामगढ़ में कटानरोधी कार्य अनियमिताओं की भेंट चढ़ता चला जा रहा है। जिसकों लेकर हम लोगों ने अपने गांव को गंगा की गोद में जाने से बचाने के लिए सांसद से लेकर विधायक,जिला प्रशासन व बाढ़ विभाग का दरवाजा खटखटाया । लेकिन इनके कानों पर अब तक जूँ नहीं रेंगा। बतातें चलेंकि सुघर छपरा के लोगों ने अपने गांव को बचाने के 4 जून को निरीक्षण के दौरान मुख्य अभियंता (जल संसाधन) राकेश कुमार तथा अधीक्षण अभियंता से अपने गांव को बचाने के लिए गुहार लगाया था मुख्य अभियंता व अधीक्षण अभियंता ने आश्वासन दिया था कि तय मानक को ध्यान में रखते हुए 15 जून से पहले कटानरोधी कार्य जल्द से जल्द करा दिया जायेगा। कटानरोधी कार्य शुरू हुआ लेकिन सिर्फ दिखावें के लिए ,धरातल पर इसका नतीजा 40 फीसदी तक भी कार्य  दिखाई नहीं दे रहा है। जिसका अंजाम कटान पीडितों को भुगतना पड़ेगा। संयोग अच्छा है कि अभी तक मानसून नहीं आया है लेकिन जब गंगा नदी अपनी विकराल रूप धारण करतीं  हैं तब विभागीय अधिकारियों से लेकर सफेदपोशों तक के दौरा करने के साथ-साथ कार्य में तेजी लाने की नाटकीय ढंग दिखाई देने लगता हैं जब गंगा नदी विकराल रूप धारण करतीं हैं तब कई मकानें गंगा नदी की उफनती लहरों में विलीन होने लगती हैं। तब कटान पीड़ितों द्वारा अपने ही हाथों से अपना घरौंदों पर हथौड़ा चलाने को बाध्य हो जाते हैं। एनएच -31 की सुरक्षा करने के लिए 27.500 से 27.950 के बीच 8 करोड़ 30 लाख 59 हजार रूपए की लागत से चार कटर का निर्माण कार्य चल रहा है उसका सीधा असर नदी के बैकरोलिंग धारा से टकराकर सुघर छपरा व दूबे छपरा गांव पर ही पड़ेगा।  इसके अलावा एनएच-31 के किमी 26.250 पर 5 करोड़ 5 लाख रुपए की लागत से एक स्पर का निर्माण कार्य चल रहा है। 

 


हमनी के त आपन गांव खातिर चल रहल मानक के विपरीत कार्य के लेके शिकायत करें खातिर विधायक से लेके सांसद तक के दरवाजा खटखटवनी जा। लेकिन तबों केहू ना सुनल। 

        

         शशि कान्त ओझा, कटान पीड़ित, सुघर छपरा


 

कई पीढ़ियों से हम लोग यहीं रहते आ रहे हैं अपनी गढ़ी हुई कमाई खून पसीना एक कर किसी तरह अपना आशियाना बना कर तैयार किया है। अब ऐसा लग रहा है कि उसका भी अब नामों निशान मिट जायेगा। 


       गुड्डू गुप्ता, कटान पीड़ित, सुघर छपरा



 हम लोगों के द्वारा बाढ़ एवं कटान निरोधक कार्य के लिए डीएम से भी अनियमिताओं के भेंट चढ़ रहा कटानरोधी कार्य की ब्यथा सुनाई, लेकिन हर जगह कोरा आश्वासन ही मिलता रहा। 

          

    रविशंकर पाण्डेय, कटान पीड़ित, सुघर छपरा


 आखिर बाढ़ विभाग समय रहते ही हम लोगों के अस्तित्व को मिटाने से प्रयास करता तो शायद हम लोगों के मकान गंगा नदी की भेंट चढ़ जाने से बच जाता। अब तो आलम यह है कि घर के साथ-साथ हम लोगों के रोजी रोटी देने वाली उपजाऊ भूमि भी गंगा नदी में विलीन होने के कगार पर है जो कि भागीरथी से महज 30 मीटर की दूरी रह गई हैं।


    बब्बन पाण्डेय, कटान पीड़ित, सुघर छपरा



समय रहते कभी पूरा नहीं हुआ कटान रोधी कार्य-


रामगढ़। बाढ़ आपदा प्रबंधन नियमावली के अनुसार जिला प्रशासन द्वारा शासन को चार जून तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना पड़ता है कि वह अपने जनपद में बाढ़ व नदी के कटान जैसे हालत में लड़ने को वो कितना तैयार है,लेकिन यहां तो ठीक इसके उलट है अर्थात कार्य ही जून के दूसरा सप्ताह बीत गया लेकिन कटानरोधी कार्य की गति और मजदूरों की संख्या की बात करे तो सम्भव है कि इस वर्ष भी गंगा की लहर तांडव मचा सकती है।



सुघर छपरा गांव का दर्द मै समझ रहा हूँ कटान निरोधक कार्य मानक के अनुसार चल रहा हैं संसाधन व मजदूरों की संख्या बढ़ाकर कार्य में तेजी लाने की भी हिदायत दी गई हैं हर हाल में 30 जून से पहले कार्य को पूरा कर दिया जायेगा अगर ऐसा नहीं हुआ तो सम्बन्धित ठीकेदार के ऊपर कार्यवाही होना तय है।


      संजय कुमार मिश्र

अधिशासी अभियंता ,बाढ़ विभाग, बलिया



रिपोर्ट: रवीन्द्र मिश्र

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