गजब - सरयू नदी में विलिन, रामपुर मसरिक गांव के विकास के लिए शासन से मिल रही है लाखों रूपए की धनराशि
रेवती (बलिया)। स्थानीय ब्लाक का रामपुर मसरिक ग्राम पंचायत बीते 1998 में ही सरयू नदी में विलिन हो गया। विस्थापित होने के बाद यहां के लोग छपरासारिव व कुछ अन्य जगहों पर बस गए। लेकिन राजस्व विभाग की मेहरबानी की वजह से रिकार्ड में आज भी रामपुर मसरिक ग्राम पंचायत जीवित है। यही नही इस गांव के प्रधान भी निर्वाचित होते और प्रति वर्ष केंद्रीय और राज्य वित्त की लाखो रुपया की धनराशि इस ग्राम के विकास के नाम पर उठ कर छपरासारिव ग्राम में खर्च हो जाता है। जबकि छपरासारिव अलग ग्रामसभा है और उसके अलग प्रधान भी निर्वाचित होते है। इस गलती के चलते एक ही गांव में दो ग्राम सभाओ का बजट खर्च होता है। वर्ष 2024-25 में रामपुर मसरिक ग्राम पंचायत के लिए 13.43 लाख रूपए खर्च हुए हैं। एडीओ पंचायत शशिभूषण दूबे का कहना है कि इसके लिए राजस्व विभाग के लोग जिम्मेदार है। 2001 व 2011 की जनगणना में रामपुर मसरिक ग्राम का नाम दर्ज होने के बाद प्रधान का चुनाव होता आ रहा है। बीडीओ मुहम्मद शकील का कहना है कि केंद्रीय व राज्य वित्त का पैसा ग्राम पंचायत के खातों में सीधे शासन स्तर से आता है। जबकि मनरेगा के कार्यों पर रोक लगा दी गई है। साथ ही यह चकित करने वाली बात है कि प्रत्येक ग्राम में पंचायत भवन का निर्माण होना है, चूंकि ग्राम पंचायत रामपुर मसरिक सरयू नदी में विलीन है, जिसके कारण पंचायत भवन एवं आर0आर0सी0 सेंटर के लिए राजस्व विभाग जगह नहीं दे पा रहा है।
पुनीत केशरी
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