योगी सरकार के मंत्री को चुनौती दे रही किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर
लखनऊ। लोकसभा के भी हो रहे चुनावी दंगल में इस बार यूपी से सिर्फ दो किन्नर प्रत्याशी मैदान में हैं,जो भाजपा और कांग्रेस के दिग्गजों को टक्कर दे रही हैं। इनके चुनावी मैदान में उतरने के कारण उत्तर प्रदेश की प्रयागराज एवं कुशीनगर लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है।
प्रयागराज में भाजपा की कद्दावर प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी और गठबंधन प्रत्याशी राजेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ आप प्रत्याशी के तौर पर भवानी मां ताल ठोक रही हैं। कुशीनगर में कांग्रेस प्रत्याशी आरपीएन सिंह और भाजपा के विजय दूबे को टक्कर देने के लिए गुड्डी किन्नर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़ी हैं। जबसे चुनाव आयोग ने थर्ड जेंडर की कैटेगरी बनाई है, तबसे यूपी में कुल रजिस्टर्ड किन्नर मतदाताओं की संख्या सिर्फ 41,292 है। लोकतंत्र के चुनावी उत्सव के समय यह सवाल बड़ा है कि किन्नरों की इसमें भागीदारी इतनी कम क्यों हैं?
लखनऊ की एक कॉलोनी में जिम चला रही पायल किन्नर का कहना है कि चुनाव में सिर्फ कैंडिडेट्स खड़े कर देने से किन्नर समुदाय लोकतंत्र में सहभागिता के लिए जागरूक नहीं हो जाएंगे, इसके लिए पार्टियों और नेताओं में इच्छाशक्ति की भी जरूरत है। पायल ने कहा कि किन्नर समुदाय समाज में हाशिए पर हैं और जिंदगी की न्यूनतम जरूरतों जैसे स्वास्थ्य सुविधाओं और सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित है। हमलोग अल्पसंख्यकों में भी अल्पसंख्यक हैं शायद यह भी एक वजह है कि राजनेता हमारे समुदाय में कोई रुचि नहीं दिखाते। पायल ने कहा कि चुनावी माहौल में अब तक जिला प्रशासन का कोई कर्मचारी हम तक नहीं पहुंचा है।
ज्वाइंट चीफ इलेक्टोरल ऑॉफिसर अलका वर्मा ने पायल की बात को खारिज करते हुए कहा कि यह कहना गलत होगा कि हम ट्रांसजेंडर्स में जागरूकता फैलाने के लिए कुछ नहीं कर रहे। जागरूकता अभियान के लिए चुनाव आयोग ने ट्रांसजेंडर मॉडल विशेष ह्यूम का सहयोग लिया है। विशेष ह्यूम 2016 में थाइलैंड में मिस इंटरनेशनल क्वीन का खिताब जीत चुकी हैं।
चुनावी मैदान में उतरीं किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर और इलाहाबाद से आप प्रत्याशी भवानी मां ने अपनी राजनीति पर कहा कि जनता की जरूरतों को समझना जरूरी है और साथ ही उनको यह मौका भी देना चाहिए कि आपका मूल्यांकन करें। इसी प्रकार, कुशीनगर प्रत्याशी गुड्डी किन्नर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं और उन्होंने कहा कि वो विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में हैं।
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