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इतिहास की नई इबारत लिखने को बेकरार हुई गंगा की उफनाती लहरें



# बारिश का रोना रोकर प्रशासन ने खींचे हाथ
# खुले आसमान के नीचे भगवान भरोसे गुजर-बसर कर रहे बाढ़ पीड़ित


रामगढ़, बलिया।  अब इसे इंद्र का कहर मानें या प्राकृतिक आपदा, चाहे जो भी हो लेकिन बाढ़ के साथ-साथ पिछले चार दिनों से हो रही लगातार बारिश ने बाढ़ पीड़ितों का जीना हराम कर दिया है।
आपको बताते चले कि गंगा के विकराल रूप बीते 18 दिनों से तबाही की कहानी लिख रही हैं। अभी पिछले शुक्रवार से गंगा नदी ने कुछ रहम तो किया, लेकिन एक बार फिर गंगा ने इतिहास दोहराने के लिए चल पड़ी अभी बाढ़ पीड़ित जैसे ही राहत की सांस लेना शुरू किये थे कि वैसे ही गंगा की नजर इन बाढ़ पीड़ितों पर लग गयीं । आचानक गंगा नदी के बढने की सूचना बाढ़ पीड़ितों तक पहुंची वैसे ही भगदड़ कि स्थिति उत्पन्न हो गयी एक तो छः दिनों से हो रही मुसलदार बारिश ने रुकने का नाम नहीं ले रहा है तो वहीं दूसरी तरफ इस आफत की घडी़ में गंगा की खौलती लहरों ने अपना कहर कटान पीड़ितों के ऊपर बरपाना प्रारम्भ कर दिया ।

गंगा के उफनती धारा ने इन बाढ़ पीड़ितों को चैन की जिंदगी जीने देने का नाम नहीं ले रही हैं ? उधर 16 सितंबर को दूबे छपरा रिंगबंधा गंगा की भेंट चढ़ जाने की वजह से कटान पीड़ितों ने राष्ट्रीय  राज्यमार्ग 31 को सुरक्षित समझकर अपना जीवन बसर करना शुरू कर दिया लेकिन उनको क्या पता कि जो स्वयं अपने आप को सुरक्षित नहीं रख पा रहा वो इन बाढ़ पीड़ितों की रखवाली क्या कर पायेगा ? दूबे छपरा उदईछपरा,चौबे छपरा के बाढ़ पीड़ितों ने प्लास्टिक का तिरपाल डालकर अपना जीवन यापन कर तो रहे हैं लेकिन स्थिति आज इतनी भयानक रूप धारण कर लिया है कि ऊपर से इद्र देवता का कहर और नीचें कीचड़ से बजबजाती जमीन पर रात - दिन गुजारने बहुत बडी मुसीबतों समना करना मुश्किल हो गई हैं लेकिन इनकी सूधी लेना कोई भी अधिकारी उचित नहीं समझते । बाढ़ पीड़ित नरक की जिंदगी जीने को मजबूर हैं । इनकी स्थिति इतनी दयनीय हो गई हैं कि ये लोग अपने आप को जीना भी उचित नहीं समझते । तो वहीं इनके बच्चे दो जून की रोटी के लिए बिलबिला रहे हैं शासन -प्रसाशन के द्वारा कुछ दिन तक भोजन तो मिलता रहा, लेकिन अभी इन बाढ़ पीड़ितों को मददगार की तो बात ही अलग है कोई पूछनहार तक नहीं पहुंच रहा है शासन प्रसाशन द्वारा मिली सुविधा भी नदारद साबित हो रहा है ।

तीन मीटर के त्रिपाल में कट रही जिंदगी


रामगढ़, बलिया। दूबे छपरा रिंगबंधा गंगा की फुफकारती लहरों में समाने के बाद बंधा पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों की स्थिति दुश्वार हो गई हैं। बीते 18 दिनों से दूबे छपरा रिंगबंधे पर बाढ़ पीड़ितों ने लगभग तीन मीटर की प्लास्टिक के तिरपाल में अपना गुजर बसर कर रहे है जैसे तैसे दूरगंध भरीं कीचड़ में दिन-रात काटने पर मजबूर हैं शासन प्रशासन के तरफ से कोई भी सुविधा तीन दिन से उपलब्ध नहीं कराई गई हैं।

 कटान देख खौफजदा हुए लोग


रामगढ, बलिया। गंगा नदी की धारा आचानक सोमवार की सुबह विकराल रूप धारण कर लिया, जिससे बडी़-बडी इमारते गंगा की गोद में समाने लगी। नदी का रुख देखकर लोगों का दिलदहल गया। ग्रामीणों में इस प्राकृतिक आपदा को देखकर जहाँ खौफ का माहौल है तो वहीं सोमवार की सुबह लगभग 10 बजे अवशेष बचें चौबेछपरा के लल्लन ओझा, खूबलाल ओझा एवं अंजनी ओझा का मकान गंगा की उफनती लहरों में भरभराकर समा गया । उधर केन्द्रीय जल आयोग गायघाट के अनुसार गंगा नदी का जलस्तर 58.960 मीटर दर्ज किया गया साथ ही दो सेमी. प्रति घंटे की रफ्तार से बढाव का क्रम निरन्तर जारी हैं ।


रिपोर्ट रविन्द्र नाथ मिश्र

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