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'मां' की कृपा से वरदान बनीं औषधियाँ, हो रहा असाध्य रोगों का उपचार

बलिया। भले ही मेडिकल सांइस हमारे पास—पड़ोस में उपलब्ध जड़ी—बूटियों व औषधीय पौधों को थोथा होने की संज्ञा दें,लेकिन इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इसी आयुर्वेदीक पद्धति के सहारे हमारे मनीषियों ने पुरातन काल मानव जीवन को महफूज रखते हुए धरा पर प्राकृति के अनमोल उपहार को जीवंत रखा, वहीं आज आमजन का भला कर रहा है।
इसका जीवंत प्रमाण फेफना थाना क्षेत्र के पकड़ी धाम स्थित काली धाम मंदिर है, जहां माँ काली के अनन्य भक्ति व उपासक रामबदन भगत माँ की कृपा से आयुर्वेदिक औषधियों के द्वारा सहजता से असाध्य रोगों का उपचार करते है। तभी तो यहां प्रत्येक शनिवार को लोगों का तांता लगा रहता है।
 ऐसा नहीं कि यह सिलसिला एक दो दिन में बना हो, अपितु यह क्रम वर्ष 2008 से बदस्तूर है। हम आपसे कुछ ऐसी ही जड़ी—बूटियों और उनके औषधीय गुणों से रूबरू करा रहे है जिसे जानकर आप भी दंग रह जायेंगे।


कटहरी सामान्य सा दिखने वाला यह पौधा अंजान लोगों के लिए वैसे तो कुछ भी नहीं, लेकिन जो इसके औषधीय गुणों से परिचित है वो बखूबी जानते हैं कि पथरी के रोग की यह रामबाण दवा है। इतना ही नहीं पेशाब संबंधि विकारों में भी इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है। 



पत्थरछरी— पित्त की थैली में पथरी से परेशान मरीजों के लिए पत्थर दरी का पौधा किसी वरदान से कम नहीं। इसे पीस कर पीने मात्र से पित्त की थैली में बनी पथरी गलकर समाप्त हो जाती है। 



भृंगराज—  गाँव—देहातों में सहजता से उपलब्ध होने वाले इस औषधिय गुणों से लबरेज पौधे को गांवों में भेंगराई भी कहा जाता है। यह बिच्छू के दंश को प्रभाव हीन करने में विशिष्टता रखता है। इसके पत्तों को मुंह में  चबाकर पीड़ित व्यक्ति के कान में फूंक ने मात्र से तत्काल लाभ मिलता है।
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सहदेई— भले ही आज की युवा पीढ़ी चेहरे की चमक को बढ़ाने के लिए तमाम तरह के क्रीम और दवाओं का प्रयोग करती हो इसके उलट चर्म रोगों को दूर करने की विशिष्ट गुणों भरपूर सहइेई का पौधा अचूक है। इतना ही नहीं यह सफेद—दाग व धब्बों को मिटाने में भी यह सक्षम है। 



खुशबरी— बवासीर के रोग की रामबाण यह औषधी पकड़ी धाम के रामबदन भगत के माध्यम हजारों की पीड़ा को दूर कर रहा है। 



पुनपुनवा— अगर आप मुंह के छाले से परेशान हैं तो इसके लिए आपकों इस औषधी का उपयोग करना चाहिए। यह औषधी मुँह के छाले की अचूक दवा है। 



कुकंरहना— तमाम तरह के छोटे व बड़े घावों को ठीक करने की क्षमता रखने वाला यह औषधीय पौधा अपनी विशिष्टता के लिए आज भी मशहूर है। इसके अलावा खुजली के मर्ज में भी इसका खूब प्रयोग किया जाता है। 



मरीचिका— इसे आम बोल—चाल में मरीचाईयां भी कहा जाता है। यह बिच्छू के दंश में इतना प्रभावशाली है कि इसके लेप मात्र से पीड़ित व्यक्ति को तत्काल राहत मिलती है। आवश्यकता है इसकी पत्तियों को चबाकर पीड़ित के कान में फूंकने मात्र की।



गठिवन— इस औषधिय पौधा का घावों पर लेपन करना इतना प्रभावी है कि बड़े से बड़ा घाव भी ठीक हो जाता है। 



करायल— दांत दर्द व जोड़ो के दर्द की अचूक व विशिष्ट दवा के रूप में ख्यातिलब्ध यह औष​धीय पौधा अपनी महत्ता के ​कारण खासा लोकप्रिय व मशहूर है। 




By-Ajit Ojha

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