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सावधानी और स्वच्छता ही मलेरिया से सही बचाव



बलिया : मलेरिया का सबसे अधिक प्रभाव फरवरी-मार्च में हल्की ठंड की शुरुआत एवं गर्मी आने के प्रारंभ में होता है, क्योंकि इस दौरान मच्छरों का प्रकोप अचानक से बढ़ने लगता है और अधिकांश लोग इसका बचाव नहीं कर पाते हैं जो बाद में मलेरिया एवं अन्य संक्रमित रोगों की चपेट में आ जाते है। इससे बचाव के लिए सावधानी और घर एवं आसपास स्वच्छता बेहद आवश्यक है। यह जानकारी कार्यवाहक मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ जी0पी0 चौधरी ने दी।

कार्यवाहक मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि मलेरिया संक्रमित मच्छर में मौजूद परजीवी से होती है। एनाफलीज नामक संक्रमित मादा मच्छर के काटने से खून में वायरस संचारित होता है। मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद सामान्य व्यक्ति को काटने वाला मच्छर ही इसे फैलाता है। यह वायरस लिवर तक पहुँच कर इसके काम करने की क्षमता को बिगाड़ता है।

लक्षण : मलेरिया की शुरुआत में लगातार बुखार रहना, ज्यादा पसीना आना, शरीर में कमजोरी आना और दर्द रहना, सिरदर्द, ज्यादा ठंड लगना इसके प्रमुख लक्षण है। कभी-कभार इसके लक्षण हर 48 से 72 घंटे दोबारा दिखते है। इसमें से किसी भी लक्षण का अभास होने पर तत्काल चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

बचाव: मलेरिया के बचाव के लिए अपने आसपास व घरों में साफ़-सफाई रखें, कूलर के पानी की सप्ताह में एक बार सफाई करना, पुराने बर्तनों में पानी जमा न होने देना, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनना, मच्छरदानी का उपयोग करना ही मलेरिया रोग से आसानी से बचा जा सकता है। मच्छरों से बचने के लिए पूरा प्रबंध करना चाहिए।




रिपोर्ट : धीरज सिंह

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