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बलिया में कोरोना से जंग को तैयार है योद्धा



बलिया : इसमें कोई दो राय नहीं कि कोरोना महामारी से जंग में सबसे ज्यादा योगदान मेडिकल स्टॉफ का है। एकदम चाकू की नोक पर काम कर ये स्टॉफ अपनी बहादुरी का परिचय दे रहे हैं। डॉक्टर हो, फार्मासिस्ट हो या अन्य कोई भी स्टाफ, सबकी अपनी कोई न कोई मजबूरी है। पर आज हर कोई इस महामारी से लड़ी जा रही जंग में अपने योगदान को सर्वोपरि रख रहा है। 

मुश्किल होता है डेढ़ साल की बच्ची से दूर रहना, पर रहेंगे मुस्तैद

— कोरोना मरीजों मिलने की स्थिति में असर्फी अस्पताल में जो 25 सदस्यीय टीम बनी है उसमें डॉ शशिप्रकाश भी शामिल हैं। डॉ शशि का कहना है कि उनके परिवार में माता—पिता के अलावा पत्नी और उनकी डेढ़ वर्ष की बेटी है। ड्यूटी होने की वजह से काफी एहतियात बरतना पड़ता है। दूभाग्य से अगर एक भी पॉजिटिव मरीज होने की दशा में महीने दिन तक घर परिवार से दूर रहना पड़ेगा। इस बीच सबसे ज्यादा मुश्किल नन्हीं बच्ची से दूर रहना होगा। लेकिन, इन सबके बावजूद आज इस लड़ाई में मजबूती से खड़े होकर लड़ने का समय है। चिकित्सकीय ​दायित्व के बाद ही पारिवारिक दायित्वों को रखा जाएगा और इस लड़ाई को जरूर जीतेंगे। 

परिवार से ज्यादा महामारी रोकने की चिंता

चिकित्सकीय दल में शामिल फार्मासिस्ट सतीशचन्द वर्मा का भी उत्साह कम नहीं है। उनका कहना है कि आज घर परिवार की चिंता से कहीं बढ़कर इस महामारी को भगाने की चिंता हम सबको है। सतीश के पिता की उम्र 100 वर्ष के हैं और इस उम्र में देखभाल की सबसे अधिक जरूरत पड़ती है। लेकिन, इस महामारी के प्रति सजग रहना उससे भी कहीं बढ़कर है। महामारी को रोकने के लिए जितनी भी ड्यूटी करना पड़े, करेंगे। इस तरह मेडिकल स्टॉफ का जज्बा इतना तो साफ है कि कोरोना से जंग में जीत जब दूर नहीं।




रिपोर्ट : धीरज सिंह

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