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मेगा राहत का पहला ब्लू प्रिंट : 45 लाख छोटे उद्योगों को 3 लाख करोड़ का कर्ज, टीडीएस में कल से 25% की कटौती

  • वित्त मंत्री ने विशेष पैकेज का ब्रेकअप बताया, टैक्स ऑडिट की तारीख 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर की गई
  • टीडीएस में कटौती का फायदा प्रोफेशनल फीस, इंटरेस्ट, किराया, डिविडेंड, कमिशन और ब्रोकरेज के पेमेंट में मिलेगा
  • ऐसी कंपनियां जहां 100 से कम कर्मचारी हैं, वहां 15 हजार से कम सैलरी वालों के पीएफ का पैसा सरकार देगी
  • जो प्रोजेक्ट 25 मार्च के बाद पूरे होने थे, उनके कम्प्लीशन के लिए रियल एस्टेट डेवलपर्स को 6 महीने की राहत दी गई


नई दिल्ली. 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को 15 घोषणाएं कीं। इनमें 6 घोषणाएं छोटे-मझले उद्योगों के लिए, 3 टैक्स से जुड़ी, 2 इम्प्लॉई प्रॉविडेंट फंड पर, 2 नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए और एक-एक घोषणा पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए थीं।
इन घोषणाओं से किन्हें फायदा
  • 45 लाख ऐसे उद्योगों को, जिनका टर्नओवर 100 करोड़ रुपए से कम है।
  • 2 लाख ऐसे छोटे उद्योगों को, जो संकट में चल रहे हैं।
  • 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले रियल एस्टेट सेक्टर को।
  • 10 लाख संस्थानों को, जिनके 5 करोड़ कर्मचारियों का पीएफ हर महीने जमा होता है।
वित्त मंत्री की डेढ़ घंटे की प्रेस कॉन्फ्रेंस में 15 घोषणाएं
1. इनकम टैक्स रिटर्न की तारीख 30 नवंबर तक बढ़ाई

साल 2019-2020 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवंबर कर दी गई है। टैक्स ऑडिट की आखिरी तारीख भी 30 सितंबर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर की गई है। इनकम टैक्स के रिफंड भी जल्द जारी किए जाएंगे। रिफंड का फायदा चैरिटेबल ट्रस्ट, नॉन-कॉर्पोरेट बिजनेस को इसका फायदा मिलेगा। इसके दायरे में प्रोपराइटरशिप, पार्टनरशिप, को-ऑपरेटिव्स आते हैं।
2. टीडीएस में 25% की कटौती, फैसला कल से लागू
क्या मिलेगा
: बिना सैलरी वाले पेमेंट के लिए टैक्स डिडक्ट एट सोर्स और टैक्स कलेक्शन एट सोर्स में 25% की कटौती की जाएगी। इससे टैक्सपेयर्स पर 50 हजार करोड़ रुपए का भार कम पड़ेगा।
किस पेमेंट पर मिलेगा: जब आप किसी कॉन्ट्रैक्ट के लिए पेमेंट, प्रोफेशनल फीस, इंटरेस्ट, किराया, डिविडेंड, कमिशन और ब्रोकरेज देते हैं तो इस पर कम टीडीएस देना होगा।
कैसे मिलेगा: टीडीएस के नए रेट कल यानी गुरुवार 14 मई से ही लागू हो जाएंगे। यह फैसला 31 मार्च 2021 तक लागू रहेगा।
3. रियल एस्टेट डेवलपर्स को बड़ी राहत
किसे फायदा
: उन रियल एस्टेट डेवलपर्स को, जिनके प्रोजेक्ट 25 मार्च या उसके बाद पूरे होने थे।
क्या फायदा: ऐसे प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन और कम्प्लीशन की टाइमलाइन अपने आप ही 6 महीने के लिए बढ़ जाएगी।
कैसे मिलेगा: किसी को भी इसके लिए अलग से एप्लिकेशन देने की जरूरत नहीं होगी। अगर रेगुलेटरी अथॉरिटी को जरूरी लगता है तो वे कम्प्लीशन की टाइमलाइन को तीन और महीने के लिए बढ़ा सकते हैं। टाइमलाइन बढ़ने के बाद अपने आप ही रियल एस्टेट प्रोजेेक्ट्स को नया प्रोजेक्ट कम्प्लीशन सर्टिफिकेट मिल जाएगा। इसके लिए केंद्र राज्यों को एडवाइजरी जारी करेगा।
4. छोटे उद्योगों को 3 लाख करोड़ रुपए का ऑटोमैटिक लोन
किसे मिलेगा
: 45 लाख मझले, बेहद छोटे, छोटे, कुटीर और गृह उद्योगों को। जिन्हें 25 करोड़ रुपए का बकाया चुकाना है और जिनका 100 करोड़ रुपए का टर्नओवर है, ऐसे छोटे उद्योगों को कर्ज मिलेगा।
कैसे मिलेगा: यह कोलैटरल फ्री ऑटोमैटिक लोन होगा। यानी इसके बदले में आपको गारंटी नहीं देनी होगी। गारंटी फीस भी नहीं लगेगी। कर्ज 4 साल के लिए होगा। प्रिंसिपल अमाउंट यानी कर्ज की मूल रकम चुकान के लिए 12 महीने की राहत मिलेगी।
कब मिलेगा: इस स्कीम का 31 अक्टूबर 2020 तक फायदा उठाया जा सकता है।
5. संकट में चल रहे छोटे उद्योगों के लिए 20 हजार करोड़ रुपए
किसे मिलेगा
: 2 लाख मझले, बेहद छोटे, छोटे, कुटीर और गृह उद्योगों को।
क्या मिलेगा: उद्योगों के प्रमोटरों को बैंक से कर्ज मिलेगा। इसके दायरे में ऐसे उद्योग आएंगे, जो नॉन परफॉर्मिंग असेट्स हो चुके हैं या संकट में चल रहे हैं।
कैसे मिलेगा: सरकार क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइज को पैसा देगी। यह ट्रस्ट बैंकों को पैसा देगा। फिर बैंकों से उद्योगों को फंड मिलेगा।
6. छोटे उद्योगों के लिए 50 हजार करोड़ रुपए का फंड
किसे मिलेगा
: ऐसे छोटे उद्योगों को, जिनके पास पैसों की कमी है, लेकिन जिनमें तरक्की करने की संभावना है।
क्या मिलेगा: 10 हजार करोड़ रुपए की शुरुआत के साथ एक फंड बनाया जाएगा। यह मदर फंड होगा। इसी के जरिए 50 हजार करोड़ रुपए का डॉटर फंड जुटाया जाएगा।
कैसे मिलेगा: छोटे उद्योगों को अपना आकार बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्हें स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
7. एमएसएमई की परिभाषा बदली
क्या हुआ
: मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के लिए अब छोटे उद्योगों की परिभाषा एक ही कर दी गई है। माइक्रो यानी बेहद छोटे उद्योग वे कहलाएंगे, जहां 1 करोड़ का निवेश है और 5 करोड़ का टर्नओवर है। स्मॉल यानी छोटे उद्योग वे कहलाएंगे, जहां 10 करोड़ का निवेश है और 50 करोड़ का टर्नओवर है। मीडियम यानी मझले उद्योग वे कहलाएंगे, जहां 20 करोड़ का निवेश और 100 करोड़ का टर्नओवर है।
फायदा क्या: अब ज्यादा उद्योग एमएसएमई के दायरे में आ जाएंगे।
8. 200 करोड़ रुपए तक के सरकारी टेंडर में देश के उद्योगों को मौका
पहले क्या होता था
: ग्लोबल टेंडर की वजह से विदेशी कंपनियां टेंडर हासिल करने की दौड़ में होती थीं और घरेलू छोटे उद्योगों को मौका नहीं मिलता था।
अब क्या होगा: सरकार अगर 200 करोड़ रुपए तक की खरीद करेगी, तो उसके लिए ग्लोबल टेंडर जारी नहीं किया जाएगा। जनरल फाइनेंशियल रूल्स में बदलाव किया जाएगा ताकि देश के छोटे उद्योगों को टेंडर हासिल करने का मौका मिल सके।
9. छोटे उद्योगों का बकाया चुकाया जाएगा
सरकार और सरकारी उद्यम अगले 45 दिन में एमएसएमई के सभी बकाया का भुगतान कर देंगे।
10. ईपीएफ में 2500 करोड़ का सपोर्ट
क्या मिलेगा
: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत इम्प्लॉई प्रॉविडेंट फंड में इम्प्लॉयर का 12% और इम्प्लॉई का 12% हिस्सा दिया जा रहा था। यह मार्च, अप्रैल और मई के लिए था। अब इसे तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है।
कब मिलेगा: जून, जुलाई और अगस्त की सैलरी के ईपीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन में भी सरकार मदद करेगी। यह मदद 2500 करोड़ रुपए की होगी।
किसे मिलेगा: 3.67 लाख ऐसे संस्थानों को इसका फायदा मिलेगा, जहां 72.22 लाख इम्प्लॉई काम करते हैं। ऐसे इम्प्लॉई जिनकी तनख्वाह 15 हजार रुपए से कम है और जो 100 से कम इम्प्लॉई वाले संस्थानों में काम करते हैं, उनके पीएफ अकाउंट में सरकार ही पूरा 24% हिस्सा जमा करेगी।
11. ईपीएफ में अब 12% की जगह 10% कॉन्ट्रिब्यूशन
क्या मिलेगा
: अगले तीन महीने तक इम्प्लॉई प्रॉविडेंट फंड में इम्प्लॉयर और इम्प्लॉई के कॉन्ट्रिब्यूशन को 12% की जगह 10% रखा जाएगा।
किसे मिलेगा: फायदा 6.5 लाख संस्थानों के 4.3 करोड़ इम्प्लॉईज को मिलेगा।
कब मिलेगा: अगले तीन महीने तक। इससे संस्थानों के 6750 करोड़ रुपए बचेंगे।
किसे नहीं मिलेगा: ऐसे कामकाजियों को जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के दायरे में नहीं आते। केंद्र और राज्य सरकारों के पब्लिक एंटरप्राइज में काम करने वालों के लिए 12-12% का कॉन्ट्रिब्यूशन जारी रहेगा।
12. कर्ज देने वाली कंपनियों के लिए लिक्विडिटी स्कीम
क्या मिलेगा
: 30 हजार करोड़ रुपए की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम की शुरुआत होगी।
किसे मिलेगा: नाॅन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां और माइक्रो फाइनेंस इंस्टिट्यूशंस को, जिन्हें बाजार से पैसा जुटाने में दिक्कत होती है।
कैसे मिलेगा: इस फंड की पूरी गारंटी सरकार देगी।
13. कर्ज देने वाली कंपनियों के लिए गारंटी स्कीम
क्या मिलेगा
: 45 हजार करोड़ रुपए की पार्शियल गारंटी स्कीम।
किसे मिलेगा: नाॅन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां और माइक्रो फाइनेंस इंस्टिट्यूशंस को, जिनकी क्रेडिट रेटिंग कम है और जो एमएसएमई या इंडिविजुअल्स को कर्ज देना चाहती हैं।
कैसे मिलेगा: कर्ज देने पर अगर नुकसान होता है तो उसका 20% भार सरकार उठाएगी।
14. पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों को मदद
क्या मिलेगा
: पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों को 90 हजार करोड़ रुपए की मदद मिलेगी, क्योंकि उनके रेवेन्यू में काफी कमी आई है।
किसे मिलेगा: पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन डिस्कॉम कंपनियों को यह मदद मिलेगी।
क्यों मिलेगा: अभी डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों को पावर जनरेशन कंपनियों और ट्रांसमिशन कंपनियों को 94 हजार करोड़ रुपए चुकाने हैं, लेकिन उनके पास पैसे की कमी है।
15. कॉन्ट्रैक्टर्स को राहत
रेलवे, सड़क परिवहन राजमार्ग और सीपीडब्ल्यूडी जैसी सेंट्रल एजेंसियों के कॉन्ट्रैक्टर्स को अपने प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए छह और महीने का वक्त दिया जाएगा।साभार- डीबी




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