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बरसात के पानी के बढते दबाव से घाघरा ने तरेरी आंखें



मनियर,बलिया। लगातार हो रही बारिश से घाघरा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने लगी है।इसके कारण नदी मे पानी का बहाव भी तीव्रतर होने लगा है जिससे  तटवर्ती इलाकों में कटान का खौफ एकबार फिर मंडराने लगा है। क्षेत्र के  रिगवन छावनी , ककरघट्टा खास,  नवका गांव आदि   तटवर्ती गांव की उपजाऊ जमीन को हमेशा की तरह इसबार भी धीरे-धीरे नदी काटकर अपने आगोश में ले रही है ।जिससे  इलाके के लोग परेशान हैं। नदी का रौद्र रूप देखकर किसानों के माथे की चिंता की लकीरें बढ़ गई है। विवशता तो ये है कि उन्हें अपनी जमीन को बचाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा। 

सुरसा की तरह आए दिन नदी कई बीघा उपजाऊ जमीन को अपने आगोश में ले रही है। पेड़ भी नदी में समाहित हो रहे हैं। जिससे दियारे के लोग भय में है। इनका कहना है कि अभी य हालत है तो नदी का रौद्र रूप सामने आने पर क्या होगा ?
बताते चलें कि पूर्व जिला अधिकारी बलिया भवानी सिंह खंगारौत के प्रयास से  एलासगढ़ से लगायत ककरघट्टा तक कटानरोधी कार्य कराया गया था। इससे तटवर्ती इलाके के बस्तियों के बचाव की काफी उम्मीद जगी थी लेकिन पुनः नदी से कटान होने से क्षेत्र के लोग भयभीत है।

 विगत 19 जून 2020 को जिलाधिकारी बलिया  श्रीहरि प्रताप शाही ने टी एस बंधे की  तिलापुर से मनियर तक बारिकी से निरीक्षण किया था तथा बाढ़ विभाग के अभियंताओं को निर्देश दिया था कि बैकरोलिंग के चलते कटान न होने पाए। कटान रोधी कार्यों व बाढ़ राहत व्यवस्था समय से किए जाने का उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित भी किया था। नाराजगी भी जाहिर की थी कि बचाव कार्य कब किया जाएगा जब बाढ़ आ जाएगा तब। घाघरा नदी की कटान से प्रभावित 56 गांव की 85000आबादी प्रभावित होती है । उन्होंने कटान रोधी कार्यों व बाढ़ राहत ब्यवस्था न किये जाने पर बाढ़ विभाग के एक्सईएन संजय मिश्रा पर भी नाराजगी जाहिर की थी।जयप्रकाश पाठक, त्रिलोकी पांडेय, श्री राम पांडेय, लडू पाठक,शमशेर पांडेय, सत्यनारायण,मोहन पांडेय, पति राम यादव , सतदेव आदि किसानों की जमीन नदी में विलीन हो रही है। इनकी मानें तो तीन दिन की लगातार बारिश में लगभग पचास बीघा जमीन नदी में समाहित हो चुकी है।



रिपोर्ट राम मिलन तिवारी

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