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घर बैठे खुद कीजिए कोरोना की टेस्टिंग, मुंबई के डॉक्टर ने बताए बीमारी को पहचानने के तीन आसान तरीके




मुंबई। देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 9 लाख को छूने वाली है और यह आंकड़ा दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रहा है। कोरोना वायरस से लोगों में डर बना हुआ है। उनसे मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील सरकार लगातार कर रही है। साथ ही, देश के राज्यों में खतरे को कम करने के लिए लॉकडाउन लगाने का भी सिलसिला जारी है। इन सबके बीच इस बीमारी को लेकर लोगों में बहुत सारी भ्रांतियां भी फैली हैं और वे अनजाने में ऐसी असावधानियां बरत रहे हैं जिससे वो इसकी चपेट में आ सकते हैं। इन भ्रांतियों और असावधानियों के बारे में बताते हुए मुंबई के प्रसिद्ध अस्पताल ब्रीच कैंडी के डॉक्टर शरद उदवाडिया का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वो यह भी जानकारी दे रहे हैं कि कोरोना को पहचाने के आसान तरीके क्या हैं? 


'कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं है'
डॉक्टर शरद उदवाडिया ने बताया कि कोरोना वायरस एक नॉर्मल वायरस की तरह है और यह इतना खतरनाक नहीं है जितना मीडिया में बताया जा रहा है। 100 में से 85 प्रतिशत लोग इस बीमारी से ठीक हो जाते हैं। यह वायरल बुखार की तरह होता है। 100 में से सिर्फ 10 से 15 लोगों को इससे खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि टीवी और समाचार माध्यमों में जो-जो बताया जा रहा है, उन बातों को वो नहीं दोहराएंगे। वह सारी बातें लोगों को पहले से मालूम हैं। वे ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनसे कोरोना की पहचान कोई भी आसानी से कर सकता है और जिन बातों की जानकारी लोगों तक ठीक से नहीं पहुंच पाई हैं। डॉक्टर ने कहा कि तीन आसान तरीके से कोरोना को पहचाना जा सकता है।


पहला- तेज बुखार है तो वह कोरोना हो सकता है
डॉक्टर शरद उदवाडिया ने बताया कि अगर बुखार बहुत तेज है तो वह कोरोना वायरस की वजह से हो सकता है। अगर बुखार 100 डिग्री फारेनहाइट से नीचे है या हल्का-फुल्का बुखार है तो इससे डरने की जरूरत नहीं है। यह कोरोना नहीं है। कोरोना वायरस में बुखार हमेशा तेज रहेगा। अब तेज बुखार के साथ अगर खांसी, जुकाम है या बलगम है तो वह भी कोरोना नहीं है। कोरोना वायरस से इंफेक्शन होने पर बलगम नहीं निकलता। अगर सिर्फ खांसी, जुकाम, बलगम हो तो टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। सामान्य सिरदर्द है, बुखार है तो वह ठीक हो जाएगा। वह भी कोरोना नहीं है। तो फिर कोरोना क्या है, इसको पहचानने के लिए उन्होंने दूसरी महत्वपूर्ण जानकारी दी।


दूसरा - कोरोना में सूखी खांसी होती है
डॉक्टर ने बताया कि अगर सूखी खांसी हो रही है तो वह कोरोना वायरस की वजह से हो सकता है। इसमें हमेशा सूखी खांसी होती है। उसके साथ बलगम नहीं आता। सूखी खांसी भी ऐसी होती है कि इंसान खांसने की कोशिश तो करता है लेकिन ठीक से खांस नहीं पाता। वह इसलिए होता है क्योंकि फेफड़े में स्पंज जैसी झिल्लियां होती हैं उसको कोरोना वायरस का इंफेक्शन सख्त बना देता है। स्वस्थ इंसान में सांस लेते वक्त फेफड़ा फूलता और सिकुड़ता है। कोरोना इंफेक्शन से झिल्लियां सख्त होने बाद फेफड़े के फूलने और सिकुरने की ताकत कम हो जाती है। फेफड़े के ठीक से काम नहीं करने की वजह से सांस लेने और खांसने में भी परेशानी होती है। इस वजह से मरीजों को मशीन के जरिए सांस दी जाती है ताकि उनका फेफड़ा फूल सके और सिकुड़ सके। इसके बाद डॉक्टर ने कोरोना की पहचान के तीसरे और अहम तरीके के बारे में बताया।


तीसरा- कोरोना मरीज सांस नहीं रोक पाता
डॉक्टर शरद उदवाडिया ने कोरोना को पहचानने का सबसे आसान तरीका यह बताया कि इसमें मरीज सांस को रोक नहीं पाता। डॉक्टर ने लोगों को कोरोना टेस्टिंग का ऐसा तरीका बताया जो काफी आसान है। उन्होंने कहा कि घर बैठे वे इस तरीके से कोरोना को पहचान सकते हैं, खुद भी ऐसा कीजिए और पड़ोसियों को भी इस बारे में बताइए। पहले धीरे-धीरे सांस लीजिए और एक घड़ी देखते रहिए। कितनी देर तक सांस को रोककर आप रख पा रहे हैं यह नोट कर लीजिए। इसी तरह दिन में दो-तीन बार सांस लेने के बाद उसे रोकिए और नोट कीजिए कि कितनी देर उसे रोककर रख पा रहे हैं। सामान्य रूप से इंसान 45 सेकेंड-1 मिनट सांस रोक लेता है। अगर हर बार सांस रोकने का समय एक ही निकलता है या देर तक आप सांस रोक पा रहे हैं तो इसका मतलब कोरोना नहीं है। अगर सांस रोकने के समय में कमी आ रही हो तो फिर चिंता करने की जरूरत है। वैसे कोरोना का मरीज तीन सेकेंड तक भी सांस नहीं रोक पाता है क्योंकि फेफड़े के फूलने और सिकुड़ने की क्षमता इस वायरस के इंफेक्शन से बहुत कम हो जाती है।



डॉक्टर शरद उदवाडिया ने बताया कि लोग मास्क तो लगा रहे हैं लेकिन उसके उपयोग का सही तरीका नहीं जानते हैं। वो इस तरह से मास्क का उपयोग करते हैं जिससे उनको वायरस का खतरा घटने की बजाय बढ़ ही जाता है और यह बात कोई अखबार, टीवी नहीं बताता। उन्होंने कहा कि मास्क लगाने के बाद बैक्टीरिया या वायरस नाक के पास बाहर चिपक जाते हैं और हम बार-बार उस मास्क को बाहर से छूते रहते हैं, जिससे वह वायरस हमारे हाथों से चिपक जाता है। उसी हाथ से हम अपने चेहरे को छूते हैं जिससे इसका खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टर ने बताया कि इसलिए मास्क लगाकर दिखावा नहीं करना चाहिए, इसका सही तरीके से उपयोग सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीमार के साथ जाएं या अस्पताल में हों या ऐसी जगह जहां इंफेक्शन का खतरा हो वहां मास्क लगा सकते हैं लेकिन उसको बाहर से छूना नहीं है। घर में मास्क लगाने की जरूरत नहीं है।

इस तरह से डॉक्टर शरद उदवाडिया ने कोरोना को पहचाने के तीन आसान तरीके बताए। तेज बुखार हो, बिना बलगम वाली सूखी खांसी हो रही हो या खांसने में परेशानी हो रही हो और सांस को रोककर रख पाने में दिक्कत हो रही है तो कोरोना वायरस का इंफेक्शन हो सकता है। घर में लोग खुद इसकी टेस्टिंग कर सकते हैं और डॉक्टर का यह वीडियो काफी वायरल हो रहा है। आखिर में डॉक्टर ने योगा के महत्व के बारे में बताया। अनुलोम-विलोम एक्सरसाइज में फेफड़ा फूलता है और सिकुड़ता है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में योगा का फायदा लोगों को महसूस होगा। अनुलोम-विलोम करने में अगर परेशानी नहीं हो रही हो, फेफड़ा सही से फूल और सिकुड़ रहा हो तो आप स्वस्थ हैं।




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