Kali Maa Pakri Dham

Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

भूदान आन्दोलन का गवाह गांधी चबूतरा, अस्तित्व मिटने के कगार पर, आक्रोश





रतसर (बलिया) ब्लाक गड़वार के न्याय पंचायत जनऊपुर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की याद में बना गांधी चबूतरा आज अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। जनप्रतिनिधि हो या जिम्मेदार सभी की बेरूखी इसके अस्तित्व को धीरे धीरे निगलता जा रहा है। यही स्थिति रही तो इस ऐतिहासिक चबूतरे का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा। 

 जनऊपुर गांव में स्थित इसी गांधी चबूतरे से सन् 1942 में भूदान आन्दोलन के प्रणेता विनोवा भावे ने अपनी यात्रा के दौरान स्वतन्त्रता आन्दोलन को धार देने के लिए  लोगों में आजादी का जज्बा भरा था और लोंगों से आजादी की लड़ाई में सहयोग की अपील की थी।उसी समय से इस स्थान को क्षेत्र के लोग  ऐतिहासिक धरोहर एवं आजादी के प्रतीक के रुप में सम्मान की दृष्टि से देखते है। 

आज यह स्थान उचित रख-रखाव ना होने  जन प्रतिनिधि की उपेक्षा और  कतिपय दबंग लोगों द्वारा अवैध  रूप से कब्जा जमा लिए जाने से  अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। आज चबूतरा के चारों तरफ झाड़ - झंखाड़ उग आए है। गांव निवासी राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित 95 वर्षीय शिक्षक श्रीकान्त पाण्डेय, सेवानिवृत नायब सूबेदार बब्बन पाण्डेय, जनऊ बाबा साहित्यिक संस्था  निर्झर के अध्यक्ष धनेश पाण्डेय ने बताया कि गांधी जी की यादों को समेटे इस चबूतरे पर कभी ग्रामीणों की चौपाल लगा करती थी। कोई भी समस्या या पंचायत होती थी तो इसी ऐतिहासिक चबूतरे पर बैठकर गांव के लोग आपस में सुलह समझौता करते थे।

 गांव के प्रमुख त्योहार दीपावली के अवसर पर इसी मंच से गांव के युवक रंगमंच पर ऐतिहासिक नाटक खेला करते थे। आज चारो तरफ झाड़ - झंखाड़ एवं अतिक्रमण के कारण इसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।  देश में गांधी जी के नाम पर तमाम तरह की बातें होती है। गांधी जी के नाम पर स्वच्छ भारत अभियान भी शुरू हुआ है। मगर  इस गांधी चबूतरे के प्रति आज भी जिम्मेदार आंखें बंद किये बैठे है जिससे इसका अस्तित्व मिटने के कगार पर है।




रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

No comments