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6 महिने से बंद है रेवती स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव



रेवती (बलिया) रेल प्रशासन की उपेक्षा के चलते छः महिने से रेवती स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव बंद है। जिससे हर समय स्टेशन परिसर में सन्नाटा छाया रहता है । गत 22 मार्च को लाक डाउन लागू होने के बाद पैसेन्जर सहित सभी एक्सप्रेस ट्रेनें बंद है । स्पेशल ट्रेनों के रूप जिन ट्रेनों का संचालन इस रूट से है उसमें किसी एक का भी ठहराव यहां नहीं होने से लोग काफी उद्वेलित है।
आजादी से पूर्व लगभग 100 वर्ष पुराना यह स्टेशन बना हुआ है । 14 अगस्त सन 1942 में आंदोलनकारियों ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन के तहत पचरूखा गायघाट से दलछपरा तक 10 कि मी तक रेल पटरियों को उखाड़ कर रेवती कस्बा को आजाद करा लिया था। नगर पंचायत के साथ साथ ब्लाक मुख्यालय भी है । गंगा व सरयू के दियरांचल के लगभग पचास गांवों की ढ़ाई लाख आबादी का सीधा सम्बन्ध रेवती रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है । जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते विगत कुछ माह पूर्व इसे हाल्ट स्टेशन घोषित किये जाने के बाद से स्टेशन पर चौथे रेलवे ट्रैक, दो व तीन नं का प्लेटफार्म व ओभर ब्रिज सहित अन्य विकास कार्य ठप हो गया है । इसके लिए विभिन्न संगठनों द्वारा रेल मंत्री पीयूष गोयल सहित रेलवे बोर्ड के महा प्रबंधक को अलग अलग पत्रक प्रेषित कर इसे स्टेशन बरकार रखने की मांग की है किन्तु अभी तक रेल प्रशासन द्वारा इस सम्बन्ध में किसी तरह निर्णय नहीं लिया गया । नगर क्षेत्र की जन भावना को संज्ञान में लेते हुए राजसभा के सांसद नीरज शेखर द्वारा रेलवे बोर्ड के महा प्रबंधक विनोद कुमार यादव को ज्ञापन देकर रेवती सहित सागरपाली व ताजपुर डेहमा को स्टेशन बरकार रखने की मांग किये जाने से लोगों में कुछ उम्मीद व आस जगी है । क्षेत्रवासियों ने रेल प्रशासन से जनता के हित में छपरा वाराणासी तथा छपरा मऊ के बीच एक एक जोड़ी पैसेन्जर यात्री ट्रेन चलाने की मांग की है ।


पुनीत केशरी

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