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प्रदर्शनी में 'महिला सुरक्षा एवं उनके अधिकार' विषयक गोष्ठी आयोजित



- *दीया-बाती प्रदर्शनी दिन-3*


- *आकांक्षा समिति के अध्यक्ष पूनम शाही ने महिलाओं व स्कूली बच्चों को दिए संदेश*


- *प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में सही उत्तर देने वाली ग्रामीण महिलाओं को किया सम्मानित*


बलिया : देशी परम्परा को याद दिलाने के लिए आयोजित दीया-बाती प्रदर्शनी तीसरे दिन महिलाओं के नाम रही। दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत दीया-बाती प्रदर्शनी के दूसरे दिन 'महिला सुरक्षा एवं उनके अधिकार' विषयक गोष्ठी आयोजित हुई। इसमें महिला सुरक्षा हेल्पलाइन से जुड़ी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी हुई, जिसमें सही उत्तर देने वाली महिलाओं को आकांक्षा समिति की अध्यक्ष पूनम शाही ने बुके देकर सम्मानित किया। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अपने विचार जिज्ञासाओं को रखा। 

भोजपुरी भाषा में अपने सम्बोधन की शुरुआत करते हुए पूनम शाही ने कहा कि मिशन शक्ति कार्यक्रम महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए चलाया जा रहा है। महिलाएं जागरूक होंगी तभी सुरक्षित भी रह पाएंगी। समाज में हर ऊंचे स्थान पर महिलाओं को देखा जा रहा है। 


बच्चों से पटाखे बिल्कुल नहीं जलाने की अपील की


आकांक्षा समिति की अध्यक्ष श्रीमती शाही पूरे दिन प्रदर्शनी के मौजूद रहकर स्कूलों छात्र-छात्राओं को प्रदर्शनी के उद्देश्य की जानकारी देती रहीं। साथ ही पर्यावरण व प्रकृति बचाने के लिए मिट्टी के दिए जलाने, पौधे लगाने व अन्य लोगों को भी जागरूक करने की बात कही। विशेष रूप से अपील किया कि इस दीवाली में पटाखे बिल्कुल नहीं जलाएंगे। प्रदर्शनी में नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर माल्दुपेर, राधाकृष्ण एकेडमी, सनबीम स्कूल अगरसंडा, हॉली पथ स्कूल सिंहपुर समेत कई स्कूल के बच्चों व विद्यालय स्टॉफ ने प्रतिभाग किया।


सीडीओ ने बताया समूह की शक्ति


गोष्ठी में सीडीओ विपिन जैन ने महिलाओं से पूछा, इनमें कितनी महिलाएं अकेले बलिया आयीं हैं। करीब 70 फीसदी महिलाओं ने हाथ उठाया, जिस पर सीडीओ ने कहा कि यही समूह की शक्ति है। समूह की महिलाओं की तमाम समस्याएं हैं। लेकिन आप सबका जागरूक होना, समूह से जुड़कर संगठित होना और आर्थिक रूप से उन्नति करना हर समस्या का समाधान है। डिप्टी कलेक्टर सीमा पांडेय ने महिला सुरक्षा व उनके अधिकारों को विन्दुवार बताया। डीडीओ शशिमौली मिश्रा ने समूह के गठन और उससे होने वाले लाभ की विस्तृत जानकारी दी। सीओ अरुण सिंह ने सरकार ने स्लोगन दिया है, 'चुप्पी तोड़ो खुलकर बोलो' को अपनाकर खुद को मजबूत करने पर जोर दिया। स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया, जिसमें जीजीआईसी की अदिति मिश्रा की वंदना और ढोलक वादन के साथ गायन सबसे खास रहा। आकांक्षा समिति के सदस्य शीला यादव, सीमा यादव व जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आईं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं मौजूद थीं।


आशीष के एकल नाटक 'सुगना' ने भर दी सबकी आंखें



दीया-बाती प्रदर्शनी के दूसरे दिन मंगलवार की देर शाम रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने कोरोना में प्रवासी मजदूरों की दर्द भरी कहानी को एकल नाटक 'सुगना' के माध्यम से दिखाया। बेहद मार्मिक नाटक को देख ऐसा लग रहा था, मानो कोरोना शुरू होने के बाद प्रवासियों के पैदल अपने गांव जाने की पूरी दास्तान सामने दिखाई दे रही हो। आशीष के एकल नाटक को देख वहां मौजूद अधिकारियों व उनकी पत्नियों समेत अन्य लोगों की आंखें भर आईं। आशीष के अद्भुत अभिनय पर भावुक हुए जिलाधिकारी ने विशेष धन्यवाद दिया। वहीं सीडीओ विपिन जैन, सीआरओ विवेक श्रीवास्तव, एसडीएम सदर राजेश यादव, डिप्टी कलेक्टर सर्वेश यादव समेत अन्य अधिकारियों व आम लोगों ने भी आशीष को जमकर तालियां समर्पित की।


पारंपरिक गीतों से लुटी महफ़िल, दिलाई गांव-गिरांव की याद



प्रदर्शनी के दूसरे दिन शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम में गायक बंटी वर्मा व लोकगीत गायिका सुनीता पाठक ने पारंपरिक गीतों से पूरी महफ़िल लूट ली। भक्ति गीत से शुरू हुआ कार्यक्रम जब पारंपरिक गीतों की तरफ गया तो सभी प्रबुद्ध लोगों ने बड़े चाव से गीत-संगीत का आनंद लिया। बंटी वर्मा ने अपने गीत से गांव-गिरांव, संस्कृति-सभ्यता की पुरानी याद ताजा कर दी। वहीं सुनीता पाठक ने बेटी बढ़ाओ बढाओ पर आधारित गीत की भी प्रस्तुति दी। इसके अलावा 'चूड़ी हमरा अइह चुड़िहरवा' ने खास तौर पर महिलाओं को गांव में चूड़ी पहनने के विशेष मौकों की याद ताजा कर दी। दस वर्षीय बालिका अनन्या पांडेय ने छठ गीत सुनाकर सबकी तालिया बटोरी। 

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फोटो--- *बता रहा बेसिक शिक्षा विभाग, बच्चों व महिलाओं के क्या है अधिकार*


बलिया: ऑफिसर क्लब में लगी दीया-बाती प्रदर्शनी में विभिन्न विभाग अपने स्टाल लगाए है। बेसिक शिक्षा विभाग का भी स्टाल लगा है, जहां बच्चों व महिलाओं के क्या अधिकार है, इसकी विशेष जानकारी दी जा रही है। 'हमारे संवैधानिक अधिकार' नामक पुस्तक भी लोगों में, खासकर महिला अभिभावकों में बांटी जा रही है। इसका उद्देश्य है कि घर-घर लोगों को यह पता चले कि बच्चों-महिलाओं के अधिकार क्या है। बालक बालिकाओं को बेहतर शिक्षा के प्रति प्रेरित करना, दहेज के विरुद्ध कानून, व्यापार या बाल विवाह नहीं करने तथा धार्मिक स्वतंत्रता, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अन्य अधिकारों के बारे में जानकारी दी जा रही है। इसी प्रकार घरेलू हिंसा, बाल व महिला अपराध और सुरक्षा से जुड़े अधिकारों का भी इस किताब में उल्लेख है।




धीरज सिंह

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