Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

ददरी मेला स्थगित कर बलिया के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाया गया : रामगोविन्द



- नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ददरी मेला को इस वर्ष स्थगित करने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण


बलिया। ब्रम्हापुत्र महर्षि भृगुजी द्वार अपने शिष्य दर्दर मुनी के नाम पर संत समागम से शुरू होकर लोकमेला के रूप में हजारों सालों से लगने वाले ददरी मेले के आयोजन पर जिला प्रशासन द्वारा रोक लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उक्त उदगार उत्तर प्रदेश विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता रामगोविन्द चौधरी ने शुक्रवार को व्यक्त किए।

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए सवाल खड़ा किया कि इसी कोरोना काल में मुख्यमंत्री जी उपचुनाव वाले एक-एक क्षेत्रो में तीन-तीन जनसभा कर रहे हैं। एक ईवीएम मशीन पर हजारों लोग अंगुली दबाएंगे, उससे कोरोना का खतरा नही है ? भाजपा के सभी नेता घूम-घूम कर सभा कर रहे हैं तो कोरोना नहीं फैल रहा है। ऐतिहासिक ददरी मेला सिर्फ एक मेला नहीं है। यह मेला बलिया जनपद की पहचान, स्वाभिमान और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। धार्मिक और सांस्कृतिक रूप के प्रतिविम्ब ददरी मेले से जनपद के हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। देश के अनेक प्रदेशों से पशु आते हैं। जिससे पशुपालक लाभान्वित होते हैं। इससे कृषि कार्य करने वाले किसान भी लाभान्वित होते हैं। जनपद के स्थानीय स्तर पर बनने वाले सामानों को भी बड़ा बाजार मिलता है। जिससे जनपद के प्रतिभा को भी विस्तार मिलता है। इसके स्थगित होने से गरीब, व्यापारी, पशुपालक, किसान और छोटे-छोटे दुकानदारों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। लकड़ी, मिट्टी, व पशु व्यापारी सहित कई वर्ग के लोग पूरे वर्ष इस ददरी मेले का इंतजार और तैयारी करते हैं। वैसे लोगों के समक्ष इस स्थगन आदेश से विकट समस्या आ जायेगी।

 नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ददरी मेला का पौराणिक व आध्यात्मिक  महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन बिहार, बंगाल,मध्य प्रदेश,झारखण्ड, नेपाल आदि जगहों से लोग आकर विश्व कल्याण की कामना से गंगा स्नान करते है जिसका धार्मिक ग्रंथों में महत्व से बखान है।वर्तमान सरकार कॅरोना के नाम पर प्रदेश के लोगों के मूलभूत समस्याओं से खिलवाड़ कर रही है। गरीबों को उनके हाल पर तड़पने को विवश कर रही है। गरीब, किसान, युवा, व्यापारी विरोधी आदेश रोज निर्गत कर रही है। 

कोविड-19 को देखते हुए मेले के आयोजन को प्रतिबंधित करने से पहले उस मेले से अपना जीवन यापन करने वाले गरीबो के बारे में सोचना चाहिए। यह मेला आवश्य लगाना चाहिए। इसे स्थगित कर बलिया के स्वाभिमान को ठेस पहुचाया गया है। जो दुर्भाग्यपूर्ण एव निंदनीय है।




रिपोर्ट धीरज सिंह

No comments