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जिला कारागार में 15 बंदियों की हुई क्षय रोग की स्क्रीनिंग तीन दिन में 37 लोगों की हुई जांच

 


कल भी जिला कारागार मे चलेगा अभियान 

बलिया : ‘टीबी हारेगा-देश जीतेगा’ अभियान के तहत सोमवार को जिला कारागार में 200 बंदियों में से 15 बंदियों की क्षय रोग एवं कोविड-19 की स्क्रीनिंग की गयी । यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ आनंद कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि अभी तक कुल 37 लोगों की जाँच गयी | पहले दिन 12, दूसरे दिन 10 और सोमवार को 15 लोगों की टी०बी० और कोविड की जाँच की गयी ।पहले और दूसरे दिन की जाँच में कोई पॉज़िटिव नहीं पाया गया ।

उन्होंने बताया कि इस अभियान में टीबी के साथ-साथ कोरोना की भी स्क्रीनिंग की जा रही है । कोई संभावित मिलता है तो उसकी कोरोना की जांच की जाएगी। आगे के दिवसों में जिला कारागार वृद्धावस्था आश्रम, अनाथालय, बाल सुधार गृह, मदरसों, आदि पर भी क्षय रोग संभावित व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की जाएगी। अभियान के दूसरे चरण में 02 जनवरी से 12 जनवरी तक जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की मलिन एवं उच्च जोखिम वाली आबादी में क्षय रोगियों की खोज की जाएगी । इसके साथ ही एचआईवी एवं डायबिटीज के रोगियों की भी जांच की जाएगी। इस अभियान के तहत जिले की कुल 20 प्रतिशत जनसंख्या की स्क्रीनिंग की जाएगी । तीसरे चरण में 13 जनवरी से 25 जनवरी तक जनपद के समस्त पंजीकृत निजी चिकित्सक मेडिकल स्टोर से सम्पर्क स्थापित कर उन्हे क्षय रोगियों के नोटिफिकेशन करने के निर्देश दिए जाएंगे। उन्होने बताया कि अभियान का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों तक क्षय रोग की उपलब्ध सुविधाओं को पहुंचाना है। यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसते समय खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन का कम होने की शिकायत हो तो वह तत्काल बलगम की जांच कराएं। जनपद में क्षय रोगियों की जॉच एवं उपचार पूर्णतया नि:शुल्क है ।

क्या होता है क्षय रोग?

टी०बी० को क्षय रोग कहा जाता है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो कि ‘माइक्रोबैकटीरियम ट्यूबरक्लोसिस’ बैक्टीरिया के कारण होती है। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। फेफड़ों में होने वाली टी०बी० को पल्मोनरी टीबी कहा जाता है और जब यह शरीर के किसी दूसरे भाग में होती है तो इसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता हैं। जब पल्मोनरी क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति  खांसता या छींकता है तब उसके साथ संक्रामक ड्रोपलेट न्यूक्लाइड उत्पन्न होते हैं, जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकता है।


रिपोर्ट धीरज सिंह

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