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भाजपा के कुशासन से समाज का हर वर्ग बुरी तरह त्रस्त : रौशन सिंह चंदन


मनियर (बलिया)भाजपा के कुशासन से समाज का हर वर्ग बुरी तरह त्रस्त है। किसान अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं। कृषि विरोधी कानूनों के जरिए किसान को अपनी खेती से बेदखल करने और पूंजी घरानों की मर्जी पर उसकी जिंदगी बंधक बनाने की साजिशों का देशव्यापी विरोध हो रहा है।

उक्त बाते कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रौशन सिंह चंदन ने रविवार को एक मुलाकात के दौरान कही ।कहा कि किसान के साथ जनसामान्य भी तमाम परेशानियों से गुजर रहा है। भाजपा चारों तरफ भ्रम फैलाकर अपना स्वार्थ साधन करना चाहती है पर अब लोग उसमें फंसने वाले नहीं है। आज भी यह स्थिति है कि कर्ज के बोझ तले दबकर किसान आत्महत्या कर रहा है।

प्रदेश में क्रय केंद्रों पर कभी बोरे की कमी तो कभी धान की उठान न होने से किसान परेशान हैं। शासन-प्रशासन के न्यूनतम समर्थन मूल्य और डेढ़ गुना उत्पादन लागत दिलाने के दावे झूठे साबित हो रहे हैं। डॉ. स्वामी नाथन की सिफारिशें भी लागू नहीं की गई। तथाकथित कृषि सुधारों के प्रति अविश्वास घर कर गया है। अब किसान अपनी समस्याओं का तत्काल समाधान और जवाब चाहता है। लोकतंत्र में उनके साथ अलोकतांत्रिक व्यवहार क्यों किया जा रहा है? सरकार  किसानों से लंबी वार्ता षडयंत्र के तहत कर रही है, लेकिन इससे वह आंदोलन को कमजोर नहीं कर पाएगी, क्योंकि देश किसानों के साथ है। पेट्रोल-डीजल के साथ रसोई गैस के दाम भी  तेल कंपनियों की मनमर्जी बढ़ा दिए जाते हैं। अभी रसोई गैस के दामों में 50 रुपये की वृद्धि हो गई है। यह गरीब जनता पर एक और आर्थिक अत्याचार है। अपनी तिजोरी भरने में लगी सरकार को गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वालों की चिंता नहीं। जब भाजपा सरकार मंहगाई कम नहीं कर सकती तो कम से कम बढ़ाए तो नहीं। जनता को अच्छे दिनों का सपना दिखाया गया, लोग अब उसकी व्यर्थता से परिचित होकर जागरूक हो गए हैं। मुख्यमंत्री के ठोको, राम नाम सत्य है जैसे जुमलों का जब कोई असर नहीं दिखाई दिया तो वह फिल्मी दुनिया की रंगीनी दिखाने में लग गए हैं। वैसे भी बहुरंगी बड़े मानसिक क्षितिज की उम्मीद रखने वाली फिल्म सिटी इंडस्ट्री आज एकांगी और संकीर्ण सोच वाली सत्ता को स्वीकार्य नहीं हो सकती है। कल को यही भाजपाई फिल्म के विषय, भाषा, पहनावे एवं दृश्यों के फिल्मांकन पर भी अपनी पाबंदियां लगाने लगेंगे।

चंदन ने आगे कहा कि सच बात तो यह है कि भाजपा स्वयं अपने कामों और आचरण से रोज-ब-रोज अप्रासंगिक होती जा रही है ।



रिपोर्ट राममिलन तिवारी

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