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कहीं अधिकारों का अतिक्रमण तो नहीं मऊ में हुई धवस्तीकरण की कार्रवाई

 


 रसड़ा (बलिया): उत्तर प्रदेश के  मऊ जिला अस्पताल के सामने विशाल मेगा मार्ट,वी मार्ट,अपना बाजार,नारायण टावर,ज्योति टावर जैसी अरबों की जिन नौ इमारतों को सिटी मजिस्ट्रेट जे एन सचान ने सात दिसम्बर को ध्वस्तीकरण की नोटिस दी है और विशाल मेगा मार्ट के मालिक कौशल कुमार उर्फ बम्बू राय को कोहङे की बतिया समझकर काररवाई रोकने से साफ-साफ मना कर दिया,वो कोई आम आदमी नहीं।बल्कि देश के प्रधानमंत्री से हाथ मिलाने की औकात रखने वालों में से एक हैं।मगर,नौकरशाहों ने उन्हें कोई तवज्जो न देकर सीधे-सीधे व्यवस्थापिका को चुनौती दे दी है।जिससे उत्तर प्रदेश के मऊ में बहस का एक मुद्दा छिङ गया है और जनपदवासियों में यह कौतूहल उत्पन्न हो गया है कि आखिर व्यवस्था को लेकर व्यवस्थापिका के जिस अंग को कार्य पालिका ने चुनौती दी है,क्या वह सचमुच औकात वाला है या कोहङे की बतिया ही।जिसका परिणाम सोमवार को हर हाल में आ जाना है।क्योंकि श्री राय ने सिटी मजिस्ट्रेट के कार्यालय में जाकर जो दलील पेश की और हुकूमत से जुड़े लोगों ने जो नजीर पेश किया,उसे सिटी मजिस्ट्रेट ने मानने से इंकार कर दिया है।अब देखना यह है कि कानून और व्यवस्था से जुड़े इस मुद्दे में आखिर भारी कौन पङता है।


विशाल मेगा मार्ट की इमारत पर नज़र डाली जाय तो इसके सामने उन सभी इमारतों से ज्यादा जगह पार्किंग के लिए छूटी हुई है,जिन्होंने एक फुट तक नहीं छोड़ा है।लेकिन,स्थानीय प्रशासन ने विशाल मेगा मार्ट से ही इस अभियान को क्यों छेङा है?यह लोगों की समझ से परे है।जिलाधिकारी अमित बंसल का टूथपेस्ट खरीदने के बहाने विशाल मेगा मार्ट में जाना और कोने-कोने की निगरानी करना भी लोगों के गले के नीचे इसलिए नहीं उतर रहा है कि जिस अफसर को नौकर-चाकर,माली-चौकीदार सब सुविधाएं मिली हुईं हो वो आखिर टूथपेस्ट खरीदने क्यों गया,वो भी विशाल मेगा मार्ट में ही और वो भी अकेले।बहरहाल,जिन नौ लोगों को ध्वस्तीकरण की नोटिस दी गयी है,उनमें से एक कौशल कुमार राय उर्फ बम्बू राय भी हैं,जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।कभी भाजपा के राष्ट्रीय कार्यक्रमों के प्रभारी रहने वाले श्री राय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी से हाथ मिलाने की औकात रखते हैं।जो प्रधानमंत्री के मऊ आगमन के दौरान देखने को मिला भी।जब प्रधानमंत्री ने उनसे सार्वजनिक रूप से हाथ मिलाया।मगर,इस शख्सियत को नौकरशाहों ने सम्मान न देकर चेतावनी दे डाली।जो श्री राय के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।


श्री राय ने बताया कि शासनादेश के नाम पर किसी इमारत को ध्वस्त करने को उच्च न्यायालय ने अवैध करार दिया है।बगैर याची को अपना पक्ष रखने का मौका दिये और सक्षम न्यायालय में मुकदमा चलने और स्पष्ट आदेश के बगैर ध्वस्तीकरण करने की कार्रवाई गैर कानूनी है।हां अधिक से अधिक उसे सीज करने की कार्रवाई की जा सकती है।ऐसे में अफसरों की मनमानी साफ-साफ दिख रही है।ध्वस्तीकरण की नोटिस मिलने के बाद श्री राय ने कानून विदों से भी राय ली।जिन्होंने आश्वस्त किया कि स्थानीय प्रशासन मनमानी नहीं कर सकता।इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन पदीय अधिकारों का दुरूपयोग और सरासर मनमानी करने पर आमादा दिख रहा है।जिसको लेकर दोनों पक्षों में टकराव के आसार नज़र आ रहे हैं।देखना यह है कि बेहद चर्चित हो चुके इस मामले का पटाक्षेप किस मोड़ पर जाकर होता है।





रिपोर्ट पिन्टू सिंह

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