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श्रमिकों के लिए हैं 17 लाभकारी योजनाएं, लाभ लेने को पंजीकरण सबसे जरूरी



- *जागरूकता के अभाव में नहीं हो सका है अधिकांश श्रमिकों का पंजीकरण


- *सीडीओ ने श्रम विभाग को पंजीकरण के लिए कैम्प लगाने के दिए निर्देश


बलिया: समाज के सबसे अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्तियों में एक निर्माण श्रमिकों के लिए सरकार ने तमाम लाभकारी योजनाएं चला रखी हैं। लेकिन निःसंदेह उन योजनाओं का लाभ जानकारी के अभाव में बहुत सारे लोग नहीं ले पा रहे हैं। निर्माण श्रमिकों के चिकित्सा, उनके बच्चों के लिए शिक्षा, विवाह, कौशल विकास, गंभीर बीमारी में सहायता, पेंशन व आवास योजना, विकलांगता या मृत्यु की स्थिति में आर्थिक सहायता जैसी कुल 17 योजनाएं संचालित हैं। जागरूकता के अभाव में अधिकांश निर्माण श्रमिकों का पंजीकरण नहीं हुआ है, जिसकी वजह से इन योजनाओं का लाभ उनको नहीं मिल पा रहा है।


लेकिन, मुख्य विकास अधिकारी विपिन कुमार जैन का प्रयास है कि इन योजनाओं की जानकारी जन-जन तक पहुंचे, लोग पंजीकरण कराएं और आर्थिक रूप से बेहद कमजोर लोगों तक इसका लाभ पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने श्रम विभाग को कैंप लगाकर अधिक से अधिक निर्माण श्रमिकों का पंजीकरण कराने का निर्देश दिया है।



ये हैं 17 योजनाएं


भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के लिए कुल 17 योजनाएं संचालित हैं। मातृत्व लाभ योजना, शिशु हित लाभ योजना, निर्माण कामगार बालिका मदद योजना, संत रविदास शिक्षा सहायता योजना, मेधावी छात्र पुरस्कार योजना, आवासीय विद्यालय योजना, कौशल विकास तकनीकी उन्नयन एवं प्रमाणन योजना, कन्या विवाह सहायता योजना, निर्माण श्रमिक भोजन सहायता योजना, सौर ऊर्जा योजना, आवास सहायता योजना, चिकित्सा सुविधा योजना, गंभीर बीमारी सहायता योजना, अक्षमता पेंशन योजना, पेंशन सहायता योजना, निर्माण कामगार मृत्यु एवं विकलांग सहायता योजना, निर्माण कामगार अंत्येष्टि सहायता योजना। 


गर्भवती महिला श्रमिक व पुत्र-पुत्रियों को आर्थिक सहायता


मातृत्व लाभ योजना में महिला श्रमिक के प्रसव की दशा में तीन महीने के वेतन के बराबर धनराशि व एक हजार का चिकित्सा बोनस मिलता है। वहीं, पुरुष कामगार को छह हजार रुपये दो किस्तों में मिलता है। शिशु हित लाभ योजना में अधिकतम दो शिशुओं के पौष्टिक आहार के लिए लड़का पैदा होने पर 20 हजार वार्षिक (एकमुश्त) व लड़की पैदा होने पर 25 हजार वार्षिक दो वर्ष की आयु पूरी होने तक मिलता है। जन्म से दिव्यांग बालिकाओं को 50 हजार बतौर सावधि जमा, जो 18 वर्ष के लिए होगा, भुगतान किया जाएगा। श्रमिकों के दो बच्चों को पहली कक्षा से उच्चतर शिक्षा तक 100 रुपये से 5 हजार प्रति माह तक विभिन्न दरों में छात्रवृत्ति के भुगतान की भी व्यवस्था है। वहीं, आवासीय विद्यालय योजना में 6-14 वर्ष के बच्चों को आवासीय सुविधा के साथ गुणवत्तापरक शिक्षा की निःशुल्क व्यवस्था है।


मृत्यु पर 5 लाख व अपंग होने पर 3 लाख देय


कोई दुर्घटना होने पर स्थायी अपंगता की दशा में 1000 से 1500 प्रति माह तक आजीवन अक्षमता पेंशन की भी योजना है। जबकि मृत्यु एवं विकलांग सहायता योजना अंतर्गत किसी दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु होने पर पांच लाख, सामान्य मृत्यु पर दो लाख, स्थाई अपंगता पर तीन लाख, आंशिक अपंगता पर दो लाख की आर्थिक सहायता मिलती है। श्रमिक के रजिस्टर्ड नहीं होने पर 50 हजार की आर्थिक सहायता देय है। अंत्येष्टि के लिए भी 25 हजार की आर्थिक सहायता की व्यवस्था है। कन्या विवाह सहायता योजना में श्रमिक के पुत्र पुत्रियों के विवाह के लिए 55 हजार व अंतर्जातीय विवाह की दशा में 61 हजार प्रति विवाह अनुदान भी देय है। इसके अलावा प्रमुख स्थलों पर पांच रुपये में पौष्टिक भोजन, 250 रुपये में सोलर पैनल, बैटरी, दो लाइट व पंखे की सुविधा, घर नहीं होने की दशा में एक लाख की आर्थिक सहायता, गम्भीर बीमारी या किसी बड़े ऑपरेशन की दशा में व्यय की शत प्रतिशत व्यय की प्रतिपूर्ति की भी व्यवस्था है।


ये है श्रमिक पंजीकरण के लिए पात्रता एवं प्रक्रिया


श्रमिक पंजीकरण के लिए पात्रता एवं प्रक्रिया की जानकारी देते हुए सीडीओ जैन ने बताया कि ऐसे सभी निर्माण श्रमिक, जो 18 से 60 वर्ष के हैं और पंजीकरण के समय पिछले 12 माह में 90 दिनों तक निर्माण श्रमिक के रूप में कार्य किया हो। श्रम विभाग के जिला श्रम कार्यालय या जनसेवा केंद्रों पर पंजीयन फार्म के साथ फोटो, आधार कार्ड व बैंक पासबुक की छायाप्रति के साथ श्रमिक के रूप में गत 12 महिनो में 90 दिनो तक का कार्य करने का प्रमाण पत्र सहित बीस रुपये पंजीकरण शुल्क व बीस रुपये एक वर्ष के अशंदान के साथ सम्पर्क करें। निर्माण श्रमिक एक साथ तीन वर्ष का अशंदान यानि 60 रुपये भी जमा कर सकते हैं।



रिपोर्ट : धीरज सिंह

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