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जलकुंभी के फल से ठीक हुआ कैंसर, जाने कहाँ और कैसे हुआ यह चमत्कार

 




बलिया: इसे चमत्कार करें या मां काली की कृपा, लेकिन हैं हकीकत तभी तो बिहार के बक्सर जनपद के थाना इटारसी के गोपालपुुर गांव निवासी  कमलेश सिंह की पत्नी राजेन्द्र सिंह को जब मेडिकल साइंस में निराश किया तो महज मां काली के प्रसाद और पुजारी रामबदन भगत द्वारा दी गई जड़ी जलकुंभी के फल के सेवन से कमर की हड्डी में हुआ कैंसर का मर्ज जाता रहा.




अपनी व्यथा सुनाते हुए कमलेश की पत्नी बबीता देवी बताती हैं कि एक वर्ष पूर्व उनकी पति को अचानक कमर में दर्द हुआ.शुरुआती दिनों में तो उन्होंने इसे हल्के में लिया और पहले इलाकाई फिर बक्सर जिला अस्पताल के डॉक्टरों से उपचार कराया, लेकिन बीमारी ठीक होने की बजाए लगातार बढ़ती जा रही थी.



इसके बाद पति का पहले पटना, फिर बीएचयू में उपचार कराया, जहाँ डॉक्टरों  ने  कमर की हड्डी में कैंसर होने की बात कही.इसके वो घर वालों की मदद से पति को लेकर मुम्बई के कैंसर अस्पताल गयी, जहां डॉक्टरों ने यह कहते हुए वापस लौटा दिया  कि अब यह ठीक नहीं हो सकता और कमलेश महज  2 से 3 माह का मेहमान है. बबीता बताती है इसके बाद तो मानों उनकी दुनिया ही वीरान हो गई. ना उन्हें कुछ भाता और ना ही कुछ अच्छा लगता, बस एक ही चिंता उन्हें खाए जा रही थी कि किसी भी तरह से पति की बीमारी का उपचार किया कराया जाए. इसी बीच उनकी भाभी ने उन्हें कमलेश को लेकर पकड़ी धाम की काली मां के मंदिर में जाने की नसीहत दी. मरता क्या न करता की पुस्तक बबीता ने वर्ष 2019 के  मई महीने में अपने पति को लेकर  पकड़ी धाम स्थित काली मंदिर पहुंची और मंदिर के पुजारी रामबदन भगत से अपनी व्यथा बताई.

मां काली के अनन्य उपासक रामबदन भगत ने पहले उन्हें मां का प्रसाद दिया और  फिर  कैंसर के उपचार के लिए जलकुंभी के 100 से 150 फलों को सिलबट्टे पर पीस कर पिलाने को कहा.  इसके बाद बबीता ने करीब 3 माह तक अपने पति को जलकुंभी का पीसकर पिलाती रही. परिणाम स्वरूप जिस बीमार कमलेश को डॉक्टरों ने  क्या कह कर लौटा दिया था कि अब वह महज 2 से 3 माह का मेहमान है, वह पिछले एक साल से भला चंगा होकर घूम रहा है. बबीता बताती हैं कि उनके लिए तो जलकुंभी का फल अमृत समान है. वह दूसरे कैंसर पीड़ित रोगियों को भी जलकुंभी के फल के सेवन की सलाह देती हैं.



डेस्क

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