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विश्व टीबी दिवस : टीबी चैंपियनों की कहानी उन्हीं की जुबानी

 


रिपोर्ट : धीरज सिंह

बोले - पहले लोग हंसते थे, अब लेते हैं सलाह

बलिया : टीबी से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है। सामुदायिक भागीदारी से ही वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का सपना साकार होगा। इसमें हर व्यक्ति को सहयोगी बनना होगा। कुछ ऐसा ही संदेश दे रहे हैं। बलिया के टीबी चैंपियन । कभी वह खुद टीबी से ग्रसित थे और जिंदगी से निराश हो चुके थे, लेकिन नियमित दवाओं का सेवन कर खुद को टीबी मुक्त कर लिया। वह चाहते हैं कि टीबी की गिरफ्त में आए दूसरे लोग भी इससे निजात पाएं। इसी उद्देश्य के साथ वह समाज में जागरूकता फैला रहे हैं। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में रह रहे टीबी चैंपियनों की कहानी बयां करते हैं। 

पहले लोग हंसते थे, अब लेते हैं सलाह :-

बलिया जिले के रेवती निवासी अजित रावत को छः हफ्ते से लगातार खांसी आने लगी। जांच में टीबी की पुष्टि हुई तो परिवार और पड़ोस के लोग हिकारत भरी निगाह से देखने लगे। वह डाट्स पर गए और वहां से नियमित दवाएं लेने लगे। 20 मई 2020 की जांच में उन्हें टीबी मुक्त घोषित कर दिया गया। उन्होंने टीबी मरीजों का दर्द सुनकर संकल्प लिया कि बच गए तो दूसरों को मरने नहीं देंगे। अब रेवती ब्लॉक मे रहने वाले टीबी मरीजों के बीच काम कर रहे हैं। उन्हें स्वास्थ्य विभाग ने टीबी चैंपियन के नाम से सम्मानित किया। अजित रावत कहते हैं कि शुरुआती दौर में उनके काम पर लोग हंसते थे, लेकिन अब सलाह लेने आते हैं।

बेरुआरबारी ब्लॉक के सुखपुरा निवासी बबलू बसफोर को 2020 में लगातार खांसी आने, सीने में दर्द की शिकायत हुई। निजी अस्पताल के डॉक्टर ने यह नहीं बताया कि टीबी है। वह दवा लेने लगे। छोटी दुकान चलाने वाले बबलू बसफोर के लिए हर हफ्ते पांच से सात सौ की दवा का खर्च उठाना मुश्किल होने लगा। इसके बाद वह टी बी अस्पताल गए। जहां जांच में टीबी की पुष्टि हुई। वहां मुफ्त दवाएं मिलीं। जून 2020  में ठीक हो गए। खुद का उदाहरण देते हुए समझाते हैं कि दवा खाना न छोड़ना। 

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ० आनंद कुमार ने बताया कि जिले में करीब 3371 टीबी मरीज पंजीकृत हैं। इसमें 109 मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) और चार एक्सडीआर के मरीज हैं। जिले में अभी 35 डीएमसी एवं दो सी बी नाट लैब हैं।

बचाव के लिए क्या करें :

लक्षण होने पर बलगम की जांच कराएं। एक्स-रे कराएं। चिकित्सक द्वारा पुष्टि करने पर सावधानी बरतें।

घरों में साफ-सफाई रखें। बीमार व्यक्ति मुंह पर रुमाल लगाकर चले।

इसका इलाज आपके जिले में स्थिति टीबी अस्पताल अथवा जिला अस्पताल के डाट्स सेंटर पर होता है। वहां से नि:शुल्क दवाएं ले सकते हैं।

एक बार बीमारी हो जाए तो जब तक डॉक्टर न कहें, दवा न छोड़ें।

इलाज के दौरान खूब पौष्टिक खाना खाएं। एक्सरसाइज करें, योग करें।

न्यूट्रिशन से भरपूर सोयाबीन, दालें, मछली, अंडा, पनीर आदि खूब खाएं।

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